…नहीं रहे बाघ बकरी चाय के मालिक पराग देसाई

0

लोगों को हर सुबह फ्रेश मॉर्निग देने वाले गुजरात की मशहूर बाघ बकरी चाय के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और मालिक पराग देसाई ने सोमवार की सुबह फ्रेश न हो सकी. सोमवार की सुबह उन्होने अपने जीवन की अंतिम सांस भरते हुए जिंदगी को अलविदा कह दिया. 49 वर्षीय पराग देसाई का ब्रेन हेमरेज की वजह से निधन हो गया. बताया जा रहा है कि, वे काफी दिनों से वेटिलेटर पर थे. बीते हफ्ते सुबह टहलने के लिए गए पराग देसाई रास्ते में गिर गए थे, जिसकी वजह से उन्हें ब्रेनहेमरेज हो गया था. जिसके बाद उपचार के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद हालत में सुधार ने मिलने पर उन्हे वेटिलेटर पर रखा गया था. पारिवारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पराग देसाई तकरीबन एक सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे.

एक टी टेस्टर एक्सपर्ट थे पराग

अमेरिका की लॉन्ग आइडैंड यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढाई करने वाले पराग देसाई एक सफल व्यापारी होने के साथ – साथ एक एक टी टेस्टर एक्सपर्ट भी थे. इसके साथ ही पराग देसाई बाघ बकरी चाय कंपनी के 6 ग्रुप ऑफ डायरेक्टर्स में से एक थे, इसके अलावा वे कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की पोस्ट तैनात होने के साथ ही वह वाघ बकरी के लिए मार्केटिंग, सेल्स और एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट का काम देखते थे.

जानिए कब अस्तित्व में आई बाघ बकरी चाय

कंपनी के संस्थापक नारायण देसाई ने दक्षिण अफ्रीका में 20 साल तक चाय की खेती, प्रयोग, टेस्टिंग आदि के गुणों और कार्यों को सीखा, इसके साथ – साथ उन्होने दक्षिण अफ्रीका में व्यवसाय के मानदंडों, चाय की खेती और उत्पादन की पेचीदगियों का भी ज्ञान अर्जीत किया। लेकिन इसके बाद नस्लीय भेद भाव के चलते उन्हे दक्षिण अफ्रीका शिकार होना पडा. इसकी वजह से उन्हे दक्षिण अफ्रीका में सबका मुकाबला और विरोध करते रहे लेकिन धीरे-धीरे नस्लीय भेदभाव की घटनाएं बढ़ गईं. हालात से मजबूर होकर नाराणदास ने दक्षिण अफ्रीका छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया. इसके बाद साल 1915 में वे अपने कुछ कीमती सामान को लेकर भारत लौट आए. इस दौरान उनके पास महात्मा गांधी का एक प्रमाण पत्र भी था. महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सबसे ईमानदार और अनुभवी चाय बागान के मालिक होने के लिए नाराणदास को यह दिया था.

 

दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद साल 1919 में गुजरात के अहमदाबाद में गुजरात टी डिपो शुरू किया. कारोबार को स्थापित करने तकरीबन 2 से 3 साल के बाद कारोबार ने रफ्तार पकड़ी और फिर कुछ सालों में वे गुजरात के सबसे बड़े चाय निर्माता बन गए. बाघ व बकरी वाले लोगो के साथ सन 1934 में गुजरात टी डिपो ने ‘वाघ बकरी चाय’ ब्रांड लॉन्च किया.

आखिर कैसे बनी पैकेज्ड चाय लॉन्च करने वाली पहली भारतीय कंपनी

1980 तक गुजरात टी डिपो ने थोक में और 7 खुदरा दुकानों के माध्यम से रिटेल में चाय बेचना जारी रखा. यह पहला ग्रुप था जिसने पैकेज्ड चाय की जरूरत को पहचाना और 1980 में गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड को लॉन्च किया. साल 2003 आते-आते वाघ बकरी ब्रांड गुजरात का सबसे बड़ा चाय ब्रांड बन चुका था.देश के 20 राज्यों में कारोबार, 40 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट आज वाघ बकरी चाय देश के करीब 20 राज्यों में अपना कारोबार फैला चुकी है. कंपनी की बिक्री का 90 फीसदी हिस्सा, टीयर 2 और टीयर 3 शहरों से आता है. पूरे देश में वाघ बकरी चाय के 30 टी लाउंज और कैफे हैं. जहां तक एक्सपोर्ट की बात है तो वाघ बकरी चाय का एक्सपोर्ट 40 से ज्यादा देशों में किया जा रहा है.

also read : Horoscope 23 October 2023: महानवमी पर इन राशि पर बरसेंगी मां जगदम्बा की कृपा, पढे आज का राशिफल 

2 हजार करोड़ से ज्यादा का है टर्नओवर

साल 1892 में अस्तित्व में आया बाघ बकरी चाय ग्रुप अपनी प्रीमियम चाय के लिए जाना जाता रहा है. यदि वर्तमान समय में कंपनी की कमाई की बात करें तो, कंपनी का दो करोड़ से भी ज्यादा का टर्नओवर रहा है, वही चाय की डिस्ट्रिब्यूशन करीब 50 मिलियन किलो है.कंपनी का गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गोवा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में अच्छा-खासा मार्केट है, जबकि हाल ही में बिहार, झारखंड और ओडिशा में व्यापार शुरू किया है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More