Palki Sharma: भारतीय पत्रकार ने ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी के सामने रखा भारत का दृष्टिकोण
Palki Sharma: भारत की मशहूर पत्रकार पालकी शर्मा ने ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी के आमंत्रण पर भारत पर बात की है. उन्होने अपने भाषण में भारत के संबंध में कहा है कि, भारत उस बहुआयामी राह को प्रदर्शित कर रहा है, जिसको लेकर पश्चिमी मीडिया में अलग धारणाएं जन्म ले रही हैं. दरअसल, इस अभिभाषण के दौरान पालकी शर्मा ने दुनिया के सामने भारत की उस सच्चाई को रखने का काम किया है, जो पश्चिमी मीडिया के दृष्टिकोण से साफ नहीं है. पालकी शर्मा की निष्पक्ष और कठोर दृष्टि ने मोदी की भारत की परिवर्तनकारी यात्रा पर पश्चिमी दृष्टिकोण से दिखाई देने वाले प्रचार के उत्साही लोगों को शब्दों से घेर लिया है.
भारत के ज्वलंत मुद्दे पर रखी अपनी बात
पालकी शर्मा ने अपने साक्षात्कार में देश के ज्वीलंत विषयों पर अपनी बात रखते हुए कहा है कि,” उन्होंने रोजमर्रा में भारत के आम जीवन पर बात की है, उन्होंने बताया कि, आज यूपीआई और ऑनलाइन बैंकिंग बड़े दुकानदार से लेकर छोटे स्ट्रीट वेंडर और ठेले वाले तक पहुंच चुकी है. हर व्यक्ति डिजिटल पेमेंट को अपना रहा है. ये डिजिटल युग में भारत की मजबूत पकड़ का उदाहरण है.”
देश के विकास पर बोली पालकी
भारत के विकास के मुद्दे पर पालकी ने कहा है कि, ” भारत को काफी समय बाद राजनीतिक स्थिरता मिली है जिससे वह तेजी से विकास कर रहा है. नया भारत लगातार नेशनल हाईवे, एयरपोर्ट्स, रेलवे का विस्तार और विकास कर रहा है. गांवों को भी शहरों से जोड़कर वहां तक सुविधा पहुंचा रहा है. गांव और शहर के बीच की इस खाई को भरना भारत के आर्थिक विस्तार को आगे बढ़ाने का की-फैक्टर था.”
”रूस और यूक्रेन युद्ध पर भारत व्यवहारिक कूटनीतिक अच्छा दृष्टिकोण”
इसके आगे पालकी ने कहा है कि, ”भारत आम सहमति बनाकर आगे बढ़ने में विश्वास रखता है, यह डिप्लोमेटिक व्यवहार भारत को सुरक्षित भी रखता है. भार क्वाड और ब्रिक्स का नेतृत्व भी करता है. रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत व्यवहारिक कूटनीतिक दृष्टिकोण अच्छा उदाहरण है. उन्होंने पीएम मोदी का नया कश्मीर आर्थिक विकास और सामाजिक सुधारों को दर्शाता है. हाशिए पर रहने वालों का विकास हुआ है, उन्होंने कहा कि, 89 फीसदी मुस्लिम और ईसाई मोदी के भारत में खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं”
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गलत सूचना मॉडल पर फूटा पालकी का गुस्सा
उनका कहना था कि, ”पश्चिमी मीडिया से गलत जानकारी फैलाने वाली मशानों ने भारत की लोकतांत्रिक मान्यताओं और सार्वभौमिक सशक्तिकरण को कुचला है. भारत का ग्रास डोमेस्टिक उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय दुनिया में सबसे अधिक है. भारत में गरीबी और कुपोषण की कई कहानियां मीडिया में प्रसारित होती हैं.”