मध्य प्रदेश में ‘करप्शन की मंडी’ का पर्दाफाश

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मध्य प्रदेश सरकार किसानों से आठ रुपये किलो प्याज खरीदकर वाहवाही लूटने की कोशिश कर रही है, मगर एक निजी समाचार चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए प्याज खरीदी में हो रहे गड़बड़ झाले की हकीकत को उजागर कर दिया है। इस खुलासे से सरकार में हड़कंप मच गया है। इस बीच खाद्य आपूर्ति निगम के महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी को निलंबित कर दिया गया है।

सरकार ने प्याज की बंपर पैदावार के चलते आठ रुपये किलो प्याज खरीदने का फैसला लिया। इसके चलते कई हजार टन प्याज सरकार द्वारा खरीदी जा चुकी है। वहीं बड़े पैमाने पर प्याज सड़ रही है। राज्य के कृषि मंत्री गौरी शंकर बिसेन भी मानते हैं कि प्याज खरीदी से सरकार को कई सौ करोड़ का नुकसान होने वाला है।

यहां बताते चलें कि सरकार ने किसानों से आठ रुपये प्रति किलो की दर से खरीदी गई प्याज को राशन दुकानों से दो रुपये किलो की दर से बेचने का निर्णय लिया था। इसी का कुछ लोगों ने लाभ उठाया। इसके चलते दूसरे प्रदेश से आए लोगों ने दो रुपये से ज्यादा की दर पर सौदेबाजी हुई।

निजी समाचार चैनल द्वारा किए गए खुलासे से पता चलता है कि खाद्य आपूर्ति निगम के अधिकारी, मंडी के कर्मचारी और व्यापारियों का गठजोड़ हो गया और किसानों से खरीदी जा रही प्याज को मंडी से ही दो रुपये से ज्यादा के दाम में बेचा जा रहा है। यह प्याज प्रदेश से बाहर भेजी जा रही है।

खाद्य एवं आपूर्ति निगम के अध्यक्ष डा. हितेश वाजपेयी ने बताया, “महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी को निलंबित कर दिया गया है और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच होगी। वहीं चैनल से भी सीडी मांगी गई है।”

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राज्य में विपक्ष लगातार इस बात को उठाता रहा है कि बाहरी प्रदेश के लोग मध्य प्रदेश में आकर अपनी प्याज बेच रहे हैं, इतना ही नहीं बाद में उसी प्याज को सस्ती दर से खरीदकर ले जा रहे है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने तो बुधवार को विधानसभा में खुलासा किया था कि कई राज्यों के ट्रक उन्होंने टोल बेरियर पर देखे। इतना ही नहीं उनका आरोप था कि कई व्यापारियों ने प्याज के नाम पर करोड़ों रुपये कमाए हैं।

वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को विधानसभा में ऐलान किया, “चाहे प्याज सड़ जाए, मगर किसानों से खरीदी जाएगी। फेंकने की जरूरत पड़ी तो प्याज को किसान नहीं, सरकार फेंकेगी।”

सूत्रों का कहना है कि सरकार द्वारा खरीदी के निर्देश तो दिए गए मगर उसे उचित स्थान पर रखने व राशन दुकानों तक भेजने की कोई व्यवस्था नहीं की गई, इसी का अफसरों ने लाभ उठाया और अच्छी प्याज को सड़ा होना बताकर दूसरे प्रदेश के व्यापारियों को बेच दिया। यह सिलसिला राज्य के कई जिलों में जारी है।

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