आज के ही दिन दुनिया ने देखा था अमेरिका-फ्रांस की दोस्ती का प्रतीक ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’
‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी‘ अमेरिका का एक लैंडमार्क है, जो न्यूयॉर्क के लिबर्टी द्वीप पर खड़ी एक प्रतिमा है. इसका उद्घाटन तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने सन 1886 में किया था. इसे अमेरिका और फ्रांस की दोस्ती का प्रतीक माना जाता है. इसका नाता काफी पुराना है क्योंकि आज ही के दिन इसका उद्घाटन हुआ था. इतिहास में इस प्रतिमा की कई कहानियां जुड़ी है. जैसे, इसका नाम ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ क्यों पड़ा, इसको किसने बनवाया था, बनाने में कितना समय लगा था.
तो आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से…
दोस्ती का प्रतीक है स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी
गौरतलब है कि स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी फ्रांस की तरफ से संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों को दोस्ती का एक उपहार है. इसे राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने न्यूयॉर्क हार्बर में 28 अक्टूबर 1886 को लोगों को समर्पित कर दिया था. मूल रूप से “लिबर्टी एनलाइटनिंग द वर्ल्ड” के रूप में जानी जाने वाली इस प्रतिमा को फ्रांसीसी उन्मूलनवादी एडौर्ड डी लाबोले ने अमेरिकी क्रांति के दौरान फ्रेंको-अमेरिकी गठबंधन की याद में प्रस्तावित किया था.
फ़्रांसिसी मूर्तिकार ने की थी डिज़ाइन…
बता दें कि इस मूर्ति को फ़्रांसिसी मूर्तिकार फ्रेडरिक-ऑगस्टे बार्थोल्डी ने डिजाइन किया था. 151 फीट की यह प्रतिमा एक महिला के रूप में है. इसके हाथ में एक मशाल है. विशाल स्टील के सपोर्ट से बने इसके ढांचे को यूजीन-इमैनुएल वायलेट-ले-ड्यूक और एलेक्जेंडर-गुस्ताव एफिल द्वारा तैयार किया गया था, जो पेरिस में एफिल टॉवर के अपने डिजाइन के लिए प्रसिद्ध थे.
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फ्रांस में 1884 में बनी थी प्रतिमा …
कहा जाता है कि इस प्रतिमा का निर्माण 1884 में फ्रांस में हो गया था. इसे फ्रांस से अमेरिका लाने के लिए 350 टुकड़ों में पैक कर 214 बक्शों में भरकर लाया गया था. फ्रांस से अमेरिका पहुंचने में इसे 4 माह का समय लगा था. इसका नाम रोमन देवी लिबट्रेस के नाम पर रखा गया, जो रोमन पौराणिक कथाओं में स्वतंत्रता का प्रतीक है.
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जानें मूर्ति के बारे में…
बता दें कि, ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ में लगे मुकुट पर 7 किरणें हैं, जो दुनिया के 7 महाद्वीपों और 7 महासागरों का प्रतीक है. वहीं, देखा जाये तो मूर्ति के एक हाथ में मशाल और दूसरी में किताब है. यह मूर्ति 151 फ़ीट ऊंची बनाई गई है जो 22 मंजिला ईमारत के बराबर है. इसके ताज तक पहुंचने के लिए 345 घुमावदार सीढ़ियां है. 1884 में UNESCO ने इसे ग्लोबल हेरिटेज बनाया था.