अबू धाबी में सड़क पर नमाज़ पढ़ना बैन, पकड़े जाने पर देना होगा 1000 जुर्माना…
पूजा करने के लिए मंदिर हैं. इबादत के लिए मस्जिदे हैं. प्रेयर करने के लिए चर्च बने हैं. अरदास लगाने के लिए गुरुद्वारे हैं. हर धर्म के हिसाब से लोगों ने पूजास्थलों का निर्माण किया हुआ है, तो आखिर वो कौन सी जरूरत है. जो लोगों को सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने के लिए मजबूर कर देती है. इसी को लेकर युनाइटेड अरब अमीरात यानी यूएई के अबू धाबी पुलिस ने अब सड़क के किनारे नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने का फैसला किया है।
एक हजार दिरहम का जुर्माना…
पुलिस ने कहा इस पर सख्ती से लगाम लगाई जाएगी. किसी ने ऐसा किया तो एक हजार दिरहम का जुर्माना अदा करना पड़ेगा. पुलिस का कहना है. कि इस तरह से नमाज पढ़ने से न सिर्फ प्रार्थना करने वालों को बल्कि सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों के लिए भी खतरनाक है. सोमवार को आया यह आदेश सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. पुलिस ने यह आदेश अवेयरनेस कैंपेन के तहत जारी किया है।
आदेश का मकसद सड़क सुरक्षा को बढ़ाना…
अबू धाबी पुलिस के महानिदेशक की तरफ से आए आदेश का मकसद सड़क सुरक्षा को बढ़ाना है. बताया जा रहा है. कि देश के कुछ बस ड्राइवर और मोटर बाइक चलाने वाले अपने वाहनों को सड़क के किनारे पर रोक देते हैं. इसके बाद वो नमाज पढ़ते हैं और कई और काम करने लगते हैं. ये हादसे का कारण बनता है. अब प्रार्थना के लिए सड़क किनारे वाहन पार्क करने पर जुर्माना लगेगा. शहर में कई मस्जिदें हैं. पेट्रोल पम्प पर भी लोगों के नमाज पढ़ने की व्यवस्था रखी जाती है. ऐसे में यात्रा करते वक्त लोगों को धार्मिक क्रियाओं के साथ-साथ ट्रैफिक नियमों का भी पालन करना चाहिए. ऐसे ही खतरों से बचाने के लिए इस आदेश को जारी किया गया है।
नियम तोड़ा तो इतना लगेगा जुर्माना…
अबू धाबी के ट्रैफिक लॉ नंबर 178 के तहत सड़क के किनारे गाड़ी रोकना अब जुर्म होगा. जिसके लिए जुर्माना अदा करना पड़ेगा. चौराहों या मोड़ पर गाड़ी रोकने का जुर्माना 500 दिरहम है. गलत तरीके से गाड़ी रोकना या पार्किंग करना जो बाकी राहगीरों के लिए खतरनाक है. उसके लिए 400 दिरहम और जो लोग अपने वाहनों के खराब होने की स्थिति में आवश्यक सुरक्षा उपाय करने में विफल रहते हैं, उन पर 500 दिरहम का जुर्माना लगाया जाएगा।
मस्जिद, श्रमिक शिविरों में जाकर पढ़ें नमाज…
अबू धाबी ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के उप निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल सलाह अब्दुल्ला अल हमैरी ने मोटर चालकों से सड़कों के किनारे अपने वाहनों को रोकने के लिए मना किया है. उन्होंने कहा है कि वो सड़क के किनारे नमाज पढ़ने की जगह पेट्रोलिंग स्टेशन, आवासीय क्षेत्रों और श्रमिक शिविरों में बने विश्राम कक्षों और मस्जिदों का उपयोग करें. उन्होंने कहा कि अभियान का उद्देश्य बस चालकों के बीच गलत या अज्ञात जगहों पर बसों को रोकने के खतरे के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है. यह न सिर्फ उनके लिए बल्कि बाकी मोटर चालकों के लिए भी खतरनाक है।
इस्लाम में पांच वक्त की नमाज की मान्यता
बता दे कि इस्लाम में पांच वक्त की नमाज जायज है. मान्यताओं के मुताबिक खास है. नमाज अल्लाह को राजी करने और उनसे माफी मांगने का जरिया है. माना जाता है कि नमाज अदा करते वक्त इंसान अल्लाह के सबसे करीब होता है. हर मुसलमान के लिए दिन में पांच बार नमाज वाजिब है.नमाज अदायगी किसी भी पाक साफ जगह पर पढ़ी जा सकती है, लेकिन इस्लाम में पुरुषों के लिए नमाज पढ़ना विशेष महत्व रखता है. हदीस के मुताबिक, पैगंबर मोहम्मद ने कहा है कि अकेले में नमाज अदा करने की तुलना में मस्जिद में नमाज अदा करना सत्ताइस गुना बेहतरीन है।
नमाजियों को सड़क पर क्यो आना पड़ता…
अब ऐसे में सवाल है कि किन मजबूरी में नमाजियों को सड़क पर आना पड़ता है. क्या उन्हें मस्जिद में जगह कम पड़ती है जिसके कारण वो सड़क पर नमाज पढ़ते हैं. और अगर वाकई ऐसी वजह है. तो क्यों नहीं पार्क, स्कूल के मैदान, पार्किंग की छत या फिर तमाम उन जगहों को अलॉट कर दिया जाए, जहां ना किसी को कोई तकलीफ हो और ना ही नमाजियों को कोई परेशानी. मगर सड़क को रोकना तो किसी भी कीमत पर उचित नहीं है।
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