अब अतीत का हिस्सा होंगी मुम्बई की डबल डेकर बसें, जानें कैसा रहा 86 सालों का सफर..
बीते 8 दशकों से मुंम्बई की सड़कों पर दौड़ती डबल डेकर बसें अब मात्र अतीत का हिस्सा होगी, बीते शुक्रवार को डबल डेकर बसों ने अपनी अंतिम यात्रा तय कर मुंम्बई की सड़कों को अलविदा कह दिया, इस अंतिम सफर पर बसों को फूल मालाओं और गुब्बारों से सजाकर निकाला गया था। इस दौरान डबल डेकर बसों के अंतिम सफर में भारी भीड़ ने सफर किया , वही सोशल मीडिया पर लोगो ने इन बसों से जुडी यादों के इमोशनल पोस्ट साझा किये। बिजनसमैन आनंद महिंद्रा ने भी ट्वीट कर बस का फोटो शेयर करते हुए कहा, ‘मुंबई पुलिस, मैं अपने बचपन की सबसे खास यादें चोरी होने की रिपोर्ट कराना चाहता हूं।’
डबल डेकर बसों की जगह लेंगी एसी बसें
शुक्रवार को डबल डेकर बसों का सफर खत्म हो गया, अभी हाल ही में इन बसों को मुंबई की हॉल ऑफ फेम में शामिल किया जा रहा है। बेस्ट की एक डीजल डबल डेकर बस को शहर के कल्चर को दिखाने के लिए म्यूजियम या डिपो में रखा जाएगा।बृहनमुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट प्रदूषण कम करने के लिए इन डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदल रहा है। बेस्ट ने सभी डीजल डबल-डेकर बसों को बंद करने की घोषणा की थी, इनकी जगह इलेक्ट्रिक एसी डबल-डेकर बसें लेंगी। ऐसी 25 बसें पहले से शहर में चल रही हैं। भारत सरकार प्रदूषण कम करने के लिए 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों में डीजल से चलने वाली बसों को इलेक्ट्रिक बसों से रिप्लेस कर रही है। 2030 तक डीजल से चलने वाली सभी बसों को इलेक्ट्रिक, सीएनजी बसों से रिप्लेस किया जाएगा।
86 साल पहले हुई थी शुरूआत
86 वर्षों से मुंबई में डबल डेकर बसें चलती आ रही है, इसके साथ ही ये बसें ट्रांसपोर्ट का एक अहम जरिया बन गईं। हर रोज भारी संख्या में लोग इनमें सफल करने के लगे। डबल डेकर होने की वजह से बच्चे भी अपने माता-पिता से जिद करते थे कि बस की पहली मंजिल पर बैठकर सफर करेंगे, क्योंकि बस की पहली मंजिल पर बैठकर सफर करने का मज़ा ही कुछ और था।
दरअसल मुंबई की सड़कों पर दौड़ने वाली डबल डेकर बसें डीजल से चलती हैं और डीजल वाली गाड़ियों की लाइफ सरकार ने 10 साल निर्धारित कर रखी हैं। इसलिए अब इन बसों को सड़कों से हटाया जा रहा है. मुंबई में अभी 7 डबल डेकर बसें हैं. इनमें से तीन open-decker बस हैं. आज डबल डेकर बसें आखिरी बार चलीं. 5 अक्टूबर से ओपन डेकर बसें भी सड़कों से हट जाएंगी. मुंबई को सपनों का शहर कहा जाता है, इस शहर का इतिहास काफी पुराना है. दौड़ते भागते शहर में ट्रांसपोर्ट के लिए ज्यादातर लोग या तो मुंबई लोकल का इस्तेमाल करते हैं, या फिर लाल रंग की ओपन डेकर बस का.
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90 के दशक की शुरुआत में BEST के बेड़े में करीब 900 डबल डेकर बसें थीं. लेकिन इसके बाद इनकी संख्या घटती गई. वर्ष 2023 की शुरुआत तक 50 डबल डेकर बसें ही BEST के पास बची थीं.डबल डेकर बसों के रखरखाव और चलाने में खर्चा ज्यादा आता है, इसलिए साल 2008 से नई बसों को बेड़े में शामिल करना बंद कर दिया गया. इन पुरानी डबल डेकर बसों की जगह इलेक्ट्रिक बसों ने ली है. नई बसें भी डबल डेकर हैं. और इनका कलर लाल और काला है जबकि, पुरानी डबल डेकर बसें लाल रंग की थीं.
आज मुंबईकरों ने BEST की डबल डेकर बसों को अपनी आंखों के सामने इतिहास बनते हुए देखा. 1990 के दशक में किसी भी हिंदी फिल्म में जब मुंबई का सीन दिखाया जाता था, तब BEST की डबल डेकर बस जरूर दिखती थी. डबल डेकर बसों ने मुंबईकरों के दिल और फिल्मी पर्दे, दोनों में जगह बनाई. वर्ष 1937 में मुंबई में जो डबल डेकर बस चली थी, उसमें एक बार में 88 यात्री सफर कर सकते थे. जबकि सिंगल डेकर बसों में 36 यात्री ही सफर कर सकते थे.बढ़ती आबादी और संकरे रास्तों को देखते हुए डबल डेकर बसें बननी शुरू हुई थीं.
बसों का क्या है इतिहास
डबल डेकर बसों का सफर बंद होने खबर सामने आने के बाद लोगो के मन डबल डेकर बस का सफर कहां से शुरू हुआ । जानकर हैरान रह जाएंगे कि घोड़ा गाड़ी को देखकर डबल डेकर बस का आइडिया आया था. अब आपको इस बारे में और जानकारी देते हैं.डबल डेकर बस का सफर कहां से शुरू हुआ
– 200 वर्ष पहले पेरिस में घोड़ागाड़ी चलाने वाले Stanislas Baudry ने ज्यादा सवारी बैठाने के लिए घोड़ा गाड़ी को दो मंजिला बनाया था.
– 1828 में उनकी ये दो मंजिला घोड़ा गाड़ी पेरिस की सड़कों पर चलने लगी थी.
– दो साल बाद 1830 में ब्रिटेन के goldworthy gurney और walter hancock ने स्टीम इंजन के साथ बस उतारी थी.
– कुछ वर्ष बाद george schilliber ने ओमनी बस के नाम से लंदन की सड़कों पर डबल डेकर बसें उतारीं.