योगी को जेल भेजने वाले पूर्व डीजीपी को होगी जेल !

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एक वक्त था जब मुलायम यादव के खासमखास रहे पूर्व डीजीपी जगमोहन यादव की मर्जी के बगैर पुलिस मुख्यालय में एक पत्ता तक नहीं हिलता था। रुतबा और रुआब ऐसा की बड़े बड़े नेता और मंत्री भी उनके आगे हाथ बंधकर खड़े रहते थे। लेकिन योगी राज में उसी पुलिस अफसर के ऐसे दिन आ गए हैं कि अब किसी भी वक्त उनकी गिरफ्तारी की खबर आ सकती है। बाबा की पुलिस ने अब जगमोहन यादव को जेल भेजने की पूरी तैयारी कर रखी है। बाबा योगी आदित्यनाथ किसी भी सूरत में जगमोहन को बख्शने के मूड में नहीं है। तो सवाल ये है की पुलिस के सबसे बड़े अफसरों में शुमार जगमोहन यादव से योगी आदित्यनाथ की ऐसी क्या दुश्मनी है, जिसका बदला वो ले रहे हैं।

जगमोहन यादव ने गांव की सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश

जगमोहन यादव पर हुई कार्रवाई की इनसाइड स्टोरी आपको बताए, उससे पहले उन पर लगे आरोप को जान लीजिए और समझ लीजिए। जौनपुर के ताराहाटी के रहने वाले जगमोहन यादव पर IPC की धारा 323, 504 और 506 के तहत केस दर्ज है। आरोप है की जगमोहन यादव ने गांव की सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश की। इस बात का विरोध करने पर उन्होंने गांव के प्रधान चंद्रेश गुप्ता के साथ मारपीट की। चंद्रेश गुप्ता बीजेपी के मंडल उपाध्यक्ष हैं और उन्होंने गांव में लंबे समय से जगमोहन यादव के परिवार की राजनीति को चुनौती दी। जगमोहन यादव की माता लंबे समय से गांव की प्रधान थी। लेकिन पिछले चुनाव में चंद्रेश यादव ने जीत हासिल कर इस सिलसिले को तोड़ दिया। इसी के बाद से जगमोहन यादव का परिवार बौखलाया था।

फिलहाल जगमोहन यादव यूपी पुलिस के निशाने पर हैं। पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। लेकिन सवाल ये है की क्या सिर्फ मारपीट की छोटी सी घटना में पुलिस अपने ही पूर्व अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने पर आमादा है, या इसके पीछे कोई दूसरी वजह भी है।

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दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प

जानकार बताते हैं कि जगमोहन की बढ़ती मुश्किलों के पीछे उनका अतीत है। जगमोहन की गिनती मुलायम परिवार के सबसे करीबी पुलिस अफसरों में होती थी। साल दो हजार सात में प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। जगमोहन बतौर आईजी गोरखपुर में तैनात थे। उस वक्त गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ की तूती बोलती थी। योगी हिंदुत्व के पोस्ट बॉय थे। इसी बीच मोहर्रम में ताजिया निकालने को लेकर दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई।

देखते ही देखते दंगों ने पूरे शहर को अपने आगोश में ले लिए। हिंसा का आलम ये ये था कि भीड़ ने पुलिस की हिरासत से एक आरोपी को छीन लिया और उसकी पीट पीटकर हत्या कर दी। जिस वक्त गोरखपुर में दंगे भड़क रहे थे, योगी आदित्यनाथ कुशीनगर में किसी कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे। दंगे की खबर मिलते ही योगी आदित्यनाथ गुस्से से भर उठे और पूरे लाव लश्कर के साथ गोरखपुर के लिए निकल गए। उनके साथ समर्थकों और गाड़ियों का रेला था।

दूसरी ओर इस बात की भनक लगते ही गोरखपुर पुलिस हरकत में आ गई। कहा जाता है की मुलायम सिंह के आदेश पर जगमोहन यादव ने योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर बॉर्डर पर रोक दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद योगी 11 दिनों तक गोरखपुर जेल में रहे। कहा जा रहा है कि गोरखपुर में तैनाती के दौरान जगमोहन यादव और योगी आदित्यनाथ में कभी नहीं बनीं।

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