अब यूपी के सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाया जाएगा AI और कोडिंग

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दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. अब काशी समेत यूपी के सरकारी स्कूलों में छात्रों को एआई, कोडिंग जावा, बिजनेस व डाटा साइंस का पाठ पढ़ाया जाएगा. बता दें कि कक्षा छह से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर लिया गया है. टीचर्स को विशेषज्ञों की मदद से इसकी ट्रेनिंग भी दी गई है.

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पिछले वर्ष तैयार किया गया पाठ्यक्रम

पिछले वर्ष 2023 में एनसीईआरटी ने इसका पाठ्यक्रम तैयार कर लिया था, जो अब इस वर्ष के नये सत्र में स्टूडेंट पढ़ेंगे. नए पाठ्यक्रमों को परिषदीय स्कूलों और सरकारी व सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के विद्यार्थियों को नवीनतम तकनीकी का ज्ञान दिया जाएगा. परिषदीय स्कूलों में कक्षा छह से कक्षा आठ और माध्यमिक में कक्षा छह से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों को इसे पढ़ाने की तैयारी पूरी कर ली गई है. दीक्षा पोर्टल पर सभी विषयों का पूरा पाठ्यक्रम अपलोड कर दिया गया है, ताकि शिक्षकों को आसानी से पाठ्य सामग्री उपलब्ध हो सके. शिक्षकों को इसके लिये जरूरी ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है ताकि उन्हें बच्चों को शिक्षा देने में सहूलियत हो.

क्या होता है एआई

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से एक ऐसा रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है. इसे मानव मस्तिष्क के आधार पर काम कराया जाता है. वहीं कोडिंग यानी कंप्यूटर की अपनी भाषा जिसे मशीन कोड कहते हैं. यह कंप्यूटर को उसके भाषा में बताता है कि क्या करना है और कैसे करना है. वहीं जावा का प्रयोग डेटा प्रोसेसिंग इंजनों के लिए किया जाता है. एक तरह से ये फाइल बनाने का काम करता है. इनके अलावा डाटा साइंस इत्यादि भी कोर्स में शामिल किया गया है.

तेजी से बढ़ रहा एआई का प्रयोग

इंटरनेट के इस युग में डिजिटल पढ़ाई के साथ-साथ डिजिटल जागरूकता भी जरूरी है. इसीलिये उन्हें इसका सुरक्षित उपयोग बताया जाएगा ताकि वह इसके दुष्परिणामों से बच सकें. एआई को लेकर जरूरी चीजों का ज्ञान, छात्रों के लिये फायदेमंद हो सकता है लेकिन अधूरा ज्ञान खतरनाक हो सकता है. अब स्कूल के दिनों में इसको पढ़ाने से छात्रों को अच्छी नॉलेज देने के लिए यूपी बोर्ड ने भी एआई, कोडिंग और बिजनेस आदि की क्लास स्टार्ट किया है. नई टेक्नोलोजी से युक्त आज के समय में विद्यार्थियों को समय की जरूरत के अनुसार नए कोर्स पढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है.

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