नई शिक्षा नीति 2020 देश की वर्तमान शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करेगा और अगले 25 वर्षों तक भारत को युवा देश बनाकर रखेगा। इससे भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाकर देश के सामाजिक – आर्थिक जीवन में नया सूत्रपात करने की हमारी कोशिश कारगर होगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यह बात आईआईटी खड़गपुर द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कही। इस आयोजन में करीब 50 हजार लोग जुड़े। शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने भी इस आयोजन की सराहना की है। शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा, मुझे इस आयोजन का हिस्सा बनते हुए गर्व महसूस हो रहा है। सभी लोगों ने नई शिक्षा नीति को कारगर रुप देने में काफी मेहनत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वीं सदी के आत्मनिर्भर और स्वच्छ भारत की कल्पना की है और नई शिक्षा नीति 2020 के जरिए नए भारत की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।
पूरी दुनिया के लोग जानने लगे हैं आईआईटी खड़गपुर का नाम
‘निशंक’ ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं कि आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, श्रीनिवास रामानुजन को पूरी दुनिया उनके प्रयासों के लिए वैज्ञानिक के रुप में पहचानती है। आईआईटी खड़गपुर का नाम पूरी दुनिया के लोग जानने लगे हैं। आज सुंदर पिचाई, अर्जुन मल्होत्रा, अजीत जैन, अरुण सरीन, दुव्वुरी सुब्बाराव, हरीश हांडे को पूरी दुनिया जानती है और सभी लोगों ने आईआईटी खड़गपुर से पढाई की है। इन लोगों ने भारत का परिचय पूरी दुनिया से कराया है।
निशंक के मुताबिक, नई शिक्षा नीति में मातृभाषा की ताकत और उसके महत्व को पहचानने की कोशिश की गई है। नई शिक्षा नीति को तैयार करने में 2 लाख लोगों से संवाद स्थापित किया गया है। देश ते करीब 99 प्रतिशत लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया है और पूरा देश उत्साहित नजर आ रहा है। नई शिक्षा नीति में इंटर्नशिप भी है और अप्रेंटिसशिप भी है।
रिपोर्ट कार्ड, प्रगति कार्ड, समग्र डिग्री, एकाधिक प्रवेश और निकास, क्रेडिट बैंक जैसे नए तरीके के जरिए शिक्षा को रुचिकर बनाने की कोशिश की गई है। नई शिक्षा नीति के जरिए भारत समग्रता से आगे बढ़ेगा और कोई भी राष्ट्र इसका मुकाबला नहीं कर पाएगा।
केंद्रीय मंत्री निशंक ने कहा, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मंच हमें आगे बढ़ने में मदद करेगा। जिसके लिए भारत को विश्व स्तर पर शीर्ष पर ले जाने के लिए 20 आईओई बनाए गए हैं जिसके जरिए वैश्विक स्तर पर छात्रों को पहचान बनाने में मदद मिलेगी। जैसा कि आप जानते हैं कि कोविड महामारी की वजह से रातों-रात पूरी शिक्षा व्यवस्था को ऑनलाइन करना पड़ा था। जिससे करीब 25-30 करोड़ छात्रों को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ना पड़ा जो अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है।
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