जयंती विशेष : ….तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा : सुभाष चन्द्र बोस
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा….! जय हिन्द। इन नारों से देश को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीयता की पहचान हैं। आज भी युवा उनसे प्रेरणा ग्रहण करते हैं। वह ऐसे वीर सैनिक हैं, जिनकी गाथा इतिहास सदैव गाता रहेगा। ‘जय हिन्द’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया। उन्होंने सिंगापुर के टाउन हाल के सामने सुप्रीम कमांडर के रूप में सेना को संबोधित करते हुए दिल्ली चलो का नारा दिया। सबसे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर नेताजी ने ही संबोधित किया था।
देश से बाहर रहकर स्वतंत्रता आंदोलन चलाया
वीर सावरकर ने देश के क्रांतिकारियों के सम्मान में एक सम्मेलन आयोजित किया और इस सम्मेलन में अध्यक्ष के आसन पर नेताजी के तैलचित्र को आसीन किया। यह एक क्रांतिवीर द्वारा दूसरे क्रांतिवीर को दी गई अभूतपूर्व सलामी थी। अंग्रेजी शासन काल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था, लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया। आजादी की जंग में हिस्सा लेने के लिए अपनी नौकरी का इस्तीफा देने वाले वह पहले आईसीएस अधिकारी थे। सिविल सर्विस छोड़ने के बाद वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए। उन्होंने देश से बाहर रहकर स्वतंत्रता आंदोलन चलाया।
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तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, इस नारे के बाद सभी जाति और धर्मों के लोग खून बहाने के लिए उठ खड़े हुए। आजाद हिन्द फौज ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, नागालैंड और मणिपुर में आजादी का झंडा लहराया। नेताजी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया।
सुभाष चन्द्र बोस के वो विचार जो आज भी लोगो में जोश भर देते है…
सुभाष चंद्र बोस के विचार बहुत क्रांतिकारी थे और उनकी बातें आज भी किसी के भी तन-मन में जोश भर सकती हैं। उनके जन्मदिवस के मौके पर हम आपको उनके ऐसे ही 10 विचारों के बारे में बता रहे हैं।
1. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा
2. याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है।
3. ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए।
4. एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा। सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।
5. सफलता, हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है।
6. मेरा अनुभव है कि हमेशा आशा की कोई न कोई किरण आती है, जो हमें जीवन से दूर भटकने नहीं देती।
7. जिस व्यक्ति के अंदर ‘सनक’ नहीं होती वो कभी महान नहीं बन सकता। लेकिन उसके अंदर, इसके आलावा भी कुछ और होना चाहिए।
8. जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं और उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं।
9. हमारा सफर कितना ही भयानक, कष्टदायी और बदतर हो, लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता हैं, लेकिन उसका आना अनिवार्य ही है।
10. मां का प्यार सबसे गहरा होता है- स्वार्थरहित। इसको किसी भी तरह से मापा नहीं जा सकता।
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