नक्सलियों ने लूटे रिकॉर्ड तोड़ हथियार

0

देश में 700 से अधिक नक्सली हमलों के दौरान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से 35 आग्नेयास्त्र लूटे गए। साल 2012 के बाद एक साल के भीतर हथियारों की यह सबसे बड़ी लूट है। इनमें से कम से कम 21 हथियारों को नक्सलियों ने 24 अप्रैल को लूटा, जब उन्होंने छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ के जवानों पर भीषण हमले को अंजाम दिया। सुकमा हमला साल 2010 के बाद अब तक का सबसे भीषण नक्सली हमला है, जिसमें सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए।

उस दिन जवानों से 21 हथियार, पांच वायरलेस सेट, दो दूरबीन, 22 बुलेटप्रूफ जैकेट तथा एक माइन डिटेक्टर लूटे गए। साथ ही 3,000 जिंदा कारतूस, 70 मैग्जीन तथा 67 अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर भी लूट लिए गए।

इन 21 हथियारों में 12 एके 47 असॉल्ट राइफलें, चार एकेएम, दो इंसास लाइट मशीन गन तथा तीन इंसास राइफलें शामिल हैं। ये हथियार आम तौर पर जम्मू एवं कश्मीर तथा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सीआरपीएफ के जवानों को दिए जाते हैं।

Also read : STF ने इन पेट्रोल पंपों को किया सील, चिप लगाकर करते थे चोरी

छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के 106 जिलों में जनवरी 2012 तथा इस साल 24 अप्रैल के बीच 10,400 नक्सली वारदातों के दौरान नक्सलियों द्वारा कुल 83 हथियार तथा 6,683 चक्र जिंदा कारतूस लूटे गए।

जनवरी से लेकर 24 अप्रैल, 2017 तक नक्सलियों ने 35 हथियार तथा 1,680 चक्र से अधिक जिंदा कारतूस लूटे। सबसे कम नुकसान साल 2016 में हुआ, जब नक्सली सीआरपीएफ से केवल 33 चक्र जिंदा कारतूस लूट पाए। उस साल नक्सली हिंसा की 3,103 घटनाएं घटी थीं।

Also read : केजरीवाल खुद हैं हार के जिम्मेदार!

साल 2015 में 1,680 नक्सली वारदातों में दो हथियार तथा 187 चक्र कारतूस लूटे गए। साल 2014 में 1,605 नक्सली वारदातों में 31 हथियार व 3,330 चक्र कारतूस, साल 2013 में 1,795 नक्सली वारदातों में 14 हथियार तथा 1,288 चक्र कारतूस, साल 2012 में 1,517 नक्सली वारदातों में केवल एक हथियार तथा 170 चक्र कारतूस लूटे गए।

सीआरपीएफ के 74 बटालियन के जवानों पर 24 अप्रैल को उस वक्त हमला हुआ, जब वे चिंतागुफा तथा बुरकापाल गांवों के बीच जंगल में एक जगह खाना खाने के लिए रुके थे।  बीते 11 मार्च को सुकमा में इसी तरह की घटना में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गए थे।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More