वाराणसी के डीएम पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लगाई 10 हजार की पेनाल्टी

गंगा की दो सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णाेद्धार का है मामला

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गंगा की दो सहायक नदियों असि और वरुणा के जीर्णाेद्धार में देरी को लेकर एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वाराणसी के जिलाधिकारी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में वीडीए और नगर निगम को एक सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
एनजीटी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मामले की सुनवाई की. अब अगली सुनवाई की तारीख 18 नवंबर निर्धारित की गई है. एनजीटी ने कहा कि अस्सी- वरुणा नदियों के जीर्णाेद्धार के प्रोजेक्ट में काफी देरी की जा रही है.

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अधिवक्ता सौरभ तिवारी की ओर से दायर की गई है याचिका

इस मामले में अधिवक्ता सौरभ तिवारी की ओर से याचिका दायर की गई. इस याचिका में प्रशासन का रवैया असहयोगात्मक बताया गया है. इसके कारण डीएम पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है. एनजीटी की मेन बेंच नई दिल्ली की तीन सदस्यीय पीठ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और डॉ. ए संथिल वेल ने इस मामले की सुनवाई की. एनजीटी ने कहा कि बैक-टू-बैक मीटिंग हो रहीं हैं, लेकिन दोनों नदियों के धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है. असि और वरुणा पर अतिक्रमण को लेकर तमाम ब्योरे पेश किए जाते हैं, लेकिन कोई काम नहीं. अब एनजीटी ने 18 नवंबर को वाराणसी के डीएम को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस सुनवाई में शामिल होने का आदेश दिया है.

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दाखिल हुई थी जनहित याचिका

गौरतलब है कि इसी साल जनवरी माह में असि और वरुणा नदियों को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल हुई थी. जनहित याचिका में नदियों की पुनर्स्थापना और जीर्णाेद्धार की मांग की गई है. राज्य सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने केस एनजीटी को सौंपने की मांग की थी. उन्होंने दलील दी कि गंगा प्रदूषण का केस अदालत पहले एनजीटी को भेज चुकी है. इस पर याची अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने आपत्ति करते हुए एनजीटी का ऑर्डर कोर्ट में पेश किया. उन्होंने कोर्ट में दलील दी की एनजीटी के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है. कोर्ट ने कहा था कि स्थानीय मुद्दों पर अदालत सुनवाई कर सकती है.

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