नमामि गंगे की पहल, बंद करो पॉलीथिन- काशी को बनाओ सुंदर और क्लीन

पॉलीथिन के इस्तेमाल को बंद करके कैसे काशी और गंगा को स्वच्छ बनाया जा सकता हैं.

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गंगा की स्वच्छता और जनपद में पॉलीथिन के खिलाफ चलाए जा रहे जन जागरूकता अभियान के तहत गुरुवार को नमामि गंगे ने वेद पाठी बटुकों के साथ लोगों को सजग व जागरूक किया. नमामि गंगे के सदस्यों ने महर्षि योगी विद्याश्रम सिद्धेश्वरी बटुकों के साथ पॉलिथीन से होने वाले नुकसान के साथ ही गंदगी को रोकने की अपील की गई. इस अभियान के तहत पॉलीथिन के इस्तेमाल को बंद करके कैसे काशी और गंगा को स्वच्छ बनाया जा सकता हैं, इसकी एक पहल शुरू की गई है.

काशी में पॉलीथिन मुक्त अभियान जारी

वाराणसी में बदहाल घाटों की सूरत बदलने के लिए नमामि गंगे के सदस्य अभियान चला रहे हैं. इस अभियान में घाटों के अलावा गंगा नदी में भी स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत गंगा नदी में बहते पूजा सामग्री और बाढ़ के अवशिष्ट को बाहर निकाला जा रहा है. इसी कड़ी में आज काशी और उसकी आत्मा गंगा को पॉलीथिन मुक्त करने को लेकर कपड़े के झोले का वितरण किया गया.

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प्लास्टिक के केमिकल पर्यावरण के लिए हानिकारक

नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने बताया कि पर्यावरणीय साक्षरता की इस मुहिम से जुड़ना और अन्य लोगों को अपने साथ जोड़ना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है. पॉलीथिन को पूरी तरह से छोटे टुकड़े में तब्दील होने में सैकड़ों सालों का समय लगता है. बता दें कि प्लास्टिक बैग्स बहुत से जहरीले केमिकल्स से मिलकर बनते हैं.

इसमें जायलेन, इथिलेन ऑक्साइड और बेंजेंन जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल होता है. इन केमिकल्स से बहुत सी बीमारियां और विभिन्न प्रकार के डिसाडर्स हो जाते हैं. प्लास्टिक के केमिकल पर्यावरण के लिए भी बेहद हानिकारक होते हैं. ‌इससे इंसान, जानवरों, पौधों और सभी जीवित चीजों को नुकसान पहुंचता है.

उन्होंने कहा कि पॉलीथिन को जलाने और फेंकने पर जहरीले केमिकल्स का उत्सर्जन होता है, जिनसे स्वास्थ्य और पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचती है. इस आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, महर्षि योगी विद्याश्रम के वेद पाठी बटुक, आचार्य राकेश मिश्रा, प्रभारी सीमंत केसरी स्वाइं, सुनील श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे.

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नमामि गंगे की शुरूआत व उद्देश्य

बता दें, नमामि गंगे भारत सरकार द्वारा शुरू की गई गंगा नदी को साफ करने की परियोजना है. यह परियोजना व्यापक तरीके से गंगा नदी को साफ और संरक्षित करने के प्रयासों को एकीकृत करती है. इसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप प्रोग्राम’ के रूप में अनुमोदित किया गया था. नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन भी है. भारत सरकार ने इसे प्रमुख कार्यक्रम के रूप में अनुमोदित किया था, जिसका बजट परिव्यय 2023-26 तक 22,500 करोड़ रुपये है, जिसका उद्देश्य प्रदूषण में प्रभावी कमी, संरक्षण और कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करना है.

Written By- Anchal Singh Raghuvanasi

 


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