नही होगी मुन्ना बजरंगी मर्डर केस की सीबीआई जांच

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मुन्ना बजरंगी की हत्या  की सीबीआई (CBI ) जांच नही होगी। हाईकोर्ट ने हत्या की सीबीआई जांच वाली याचिका को ठुकरा  दिया है। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच से इंकार कर दिया याानि इस कत्ल की सीबीआई जांच नहीं होगी।

मुन्ना बजरंगी की वकील ने दायर की थी अर्जी

सीबीआई जांच की मांग को लेकर अर्जी हाईकोर्ट में मुन्ना बजरंगी की वकील स्वाति अग्रवाल ने दाखिल की थी। इस अर्जी में उन्होंने कहा था कि मुन्ना बजरंगी ने पहले ही अपनी जान का खतरा बताते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की थी, ऐसे में उसकी मौत के पीछे का सच सामने आना ही चाहिए।

अर्जी में यह भी कहा गया था कि मुन्ना बजरंगी ने यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स से ही जान का खतरा जताया था, लिहाजा यूपी पुलिस की जांच से इंसाफ की उम्मीद नहीं है, इसलिए मर्डर केस की जांच सीबीआई से कराए जाने का आदेश दिया जाना चाहिए। अर्जी में मुन्ना बजरंगी के परिवार को उचित मुआवजा दिए जाने की भी मांग उठाई गई है।

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गौरतलब है कि सोमवार की सुबह बागपत जेल में मौत के घाट उतारे गए मुन्ना बजरंगी को कुछ दिन पहले ही अपनी हत्या का अंदेशा हो गया था। मुन्ना बजरंगी ने अपनी ज़िंदगी को खतरा बताते हुए जेल में भी अपने लिए सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग को लेकर कुछ दिनों पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। अपनी अर्जी में मुन्ना बजरंगी ने यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स पर कुछ लोगों से मिलकर जेल कैम्पस या फिर पेशी पर वाराणसी ले जाते समय रास्ते में फर्जी इनकाउंटर किये जाने की आशंका जताते हुए अदालत से सुरक्षा की गुहार लगाई थी।

जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई थी

माफिया डॉन की इस अर्जी पर हाईकोर्ट से अभी कोई आदेश भले ही न हो पाया हो, लेकिन यह इत्तेफाक ही था, कि जिस दिन मुन्ना बजरंगी को मौत के घाट उतारा गया, उसी दिन हाईकोर्ट में उसकी अर्जी पर सुनवाई भी होनी थी। अपने लिए जेल व पेशी पर ले जाते समय रास्ते में विशेष सुरक्षा की मांग को लेकर मुन्ना बजरंगी ने इसी साल सोलह मई को अर्जी दाखिल की थी।

अर्जी दाखिल करने के समय वह झांसी जेल में बंद था। अर्जी में उसने यूपी सरकार, यूपी के डीजीपी, झांसी जेल के सुप्रीटेंडेंट और हत्या की एफआईआर दर्ज कराने वाले आशीष कुमार साहू को पक्षकार बनाया था। हालांकि मुन्ना बजरंगी की इस अर्जी पर तकरीबन डेढ़ महीने तक सुनवाई नहीं हो सकी थी।

चार जुलाई को हुई पहली सुनवाई में अदालत ने विपक्षियों से जवाब दाखिल करने को कहा था। सोमवार को होने वाली सुनवाई में अदालत मुन्ना बजरंगी की इस अर्जी पर कोई अंतरिम आदेश या फिर निर्देश जारी कर सकती थी।

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