मुख्तार के बेटे उमर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, मिल गई अग्रिम जमानत
शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को उमर को इस मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था
आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले में दिवंगत गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली गई है. न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पी के मिश्रा की पीठ ने उमर को इस मामले में निचली अदालत में पेश होने को कहा है. शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को उमर को इस मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने पिछले साल 19 दिसम्बर को उमर अंसारी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. इस मामले चार मार्च, 2022 को मऊ जिले के कोतवाली थाने में अब्बास अंसारी (मऊ सदर सीट से एसबीएसपी प्रत्याशी), उमर अंसारी और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
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प्राथमिकी में आरोप था कि तीन मार्च, 2022 को पहाड़पुरा मैदान में एक जनसभा में अब्बास अंसारी, उमर अंसारी और मंसूर अहमद अंसारी ने मऊ प्रशासन से ‘हिसाब बराबर करने का’ आह्वान किया था. प्राथमिकी के अनुसार, यह आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है.आपको बता दें कि जेल में बंद बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का पिछले 28 मार्च को प्रदेश के बांदा स्थित एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
अब्बास अंसारी के मामले में सुनवाई के लिए अदालत राजी
वहीं, मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे और उमर के बड़े भाई अब्बास अंसारी को अंतरिम जमानत देने वाले मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट राजी हो गया है. अब्बास के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से मुख्तार अंसारी के 40वें दिन की प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की. सिब्बल ने कहा कि इस मामले में जल्द सुनवाई हो. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सात मई को सुनवाई के लिए कहा है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने 9 अप्रैल को मुख्तार के बेटे अब्बास को तीन दिन की राहत प्रदान की थी. अंतरिम राहत देते हुए कोर्ट ने अब्बास को पिता मुख्तार की कब्र पर फातिहा पढ़ने की इजाजत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पूरी सुरक्षा के साथ अब्बास अंसारी को ले जाया जाय. इसके अगले दिन अब्बास ने अपने पिता की कब्र पर फातिहा पढ़ा था. इसके बाद उसे गाजीपुर जिला जेल में रखा गया. 11 और 12 अप्रैल को अब्बास ने अपने परिवारवालों से मुलाकात की थी. वहीं, 13 अप्रैल को अब्बास अंसारी को वापस कासगंज जेल लाया गया था. वहीं अब्बास अंसारी अपने पिता मुख्तार के जनाजे में शामिल नहीं हो सके थे. जब मुख्तार की मौत हुई तो अब्बास को पैरोल दिलवाने की कोशिश की गई लेकिन कतिपय कारणों से अब्बास को पैरोल नहीं मिल सकी थी. बता दें कि अब्बास अंसारी के खिलाफ 11 से अधिक मामले विचाराधीन हैं. इसके चलते उसे पहले में चित्रकूट जेल में बंद किया गया था. बाद में उसे कासगंज जेल भेज दिया गया.