Mukhtar Ansari: जब मुख्तार ने गुरू दक्षिणा में दी थी लाश…

पढ़ें मुख्तार के आतंक के आगाज की पूरी कहानी...

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Mukhtar Ansari: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में मुख्तार की मौत के साथ ही आतंक का दीया बुझ गया है. इसके साथ ही शहर में सौहार्द और शांति आने की कामना की जा रही है. बीते गुरूवार को अस्पताल में हार्टअटैक से हुई मुख्तार की मौत के बाद चारों तरफ बस उसकी मौत और अपराधों की कुंडली पर चर्चा जारी है. हालांकि, मुख्तार के गुनाहों की फेहरिस्त काफी लंबी है, जिसमें 65 से ज्यादा मामले दर्ज है. इसके अलावा मुख्तार ऐसे ही कुख्यात माफिया नहीं बन गया बल्कि उसमें अपराध की दुनिया में राज करने के सारे गुण थे.

वह इतना अचूक निशानेबाज था कि एक दीवार से दूसरे दीवार के पार गोली मारकर एक और बदमाश को मार डालने का हुनर रखता था, जिसके बाद पूर्वांचल में उसके अपराधों की चर्चा शुरू हो गयी थी. गोली चलाने वाला मुख्तार अंसारी था और मरने वाले व्यक्ति का नाम रंजीत सिंह था. उसने रंजीत की हत्या अपने राजनीतिक गुरु साधु और मकनू सिंह के कहने पर की थी, जिससे उसकी व्यक्तिगत दुश्मनी भी नहीं थी. दोनों गुरुओं ने दक्षिणा में रंजीत सिंह की लाश मांगी थी और मुख्तार ने पहली बार मांगने पर इनकार नहीं कर सका था, इसलिए उसने गुरूदक्षिणा में उसने अपने गुरूओं को रंजीत की लाश दी थी.

पिता के अपमान के बदला लेने रखा था आतंक की दुनिया में कदम

मुख्तार अंसारी जैसे कई लोगों को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में वतन परस्ती और अमूमन सेना में बहाली के लिए जाना जाता था. उन्होंने यहीं रहकर अपराधों की एक अलग दुनिया बनाई, बसाई और कई हत्याकांड करके अपराध की उस दुनिया में अपना नाम आबाद कर दिया. इसी जिले के सैदपुर कोतवाली क्षेत्र के मुड़ियार गांव के रहने वाले साधु सिंह और मकनू सिंह थे. उन्होंने अपने चाचा रामपत सिंह और उनके तीन बेटों को बर्बर तरीके से मारकर अपराध जगत में नाम कमाया था. 80 के दशक में इलाके में मुख्तार अंसारी कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ दबंगई भी शुरू हो गई थी.

उसके पिता उस समय मोहम्मदाबाद से नगर पंचायत के अध्यक्ष हुआ करते थे. सच्चिदानंद राय भी इस क्षेत्र में प्रभावशाली व्यक्ति थे. मुख्तार के पिता और सच्चिदानंद में किसी बात पर बहस हो गयी थी. इससे भड़के सच्चिदानंद ने मुख्तार के पिता को भरे बाजार में बहुत बुरा कह दिया था. इस बात से खफा मुख्तार ने सच्चिदानंद राय की हत्या करने का निर्णय लिया. लेकिन मोहम्मदाबाद में राय बिरादरी का बड़ा प्रभाव था, इसलिए मुख्तार को उनकी हत्या करना आसान नहीं दिखा. इसलिए उसने अपनी इस साजिश को अंजाम देने के लिए साधु और मकनू सिंह से मदद मांगी. दोनों ने सच्चिदानंद राय को मार डाला और मुख्तार की पीठ पर हाथ रख दिया. इसके बाद से मुख्तार अंसारी ने साधु और मकनू को अपना अपराधिक गुरु मान लिया.

मुख्तार के गुरूओं ने गुरूदक्षिणा में मांगी थी लाश

अपने मकसद में सफल होने और हिंसा का पूरा परीक्षण प्राप्त करने के बाद अब समय आ गया था कि मुख्तार अंसारी की वह अपने आपराधिक गुरू साधु और मकनू को गुरुदक्षिणा दे. दोनों ने मुख्तार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जो पूरे पूर्वांचल में सबसे घातक आपराधिक इतिहास का निर्माण करने वाला था. सैदपुर के दो भाई, मेदनीपुर के छत्रपाल सिंह और रंजीत सिंह दबंग थे और साधु और मकनू को परेशान करते थे.

दोनों ने सैदपुर और गाजीपुर में सबसे बड़े दबंग बनने की इच्छा व्यक्त की थी. अब वर्चस्व की लड़ाई में कुर्बानी का वक्त आ गया थ. तब एक दिन साधु और मकनू ने मुख्तार को फोन किया और कहा कि रंजीत सिंह को मार डालो. मुख्तार भी इसे सुनकर एक बार हिल गया. लेकिन अपने आपराधिक गुरूओं ने पहली बार कुछ मांगा था तो वह इंकार नहीं कर सकता था और उसने वही किया जो उसके गुरूओं ने कहा.

मुख्तार ने फिल्मी अंदाज में की थी रंजीत की हत्या

फिल्मों से भी खतरनाक तरीके से मुख्तार ने रंजीत सिंह की हत्या को अंजाम दिया . इसके लिए मुख्तार अंसारी ने रंजीत सिंह के घर के ठीक सामने रहने वाले रामू मल्लाह से दोस्ती की . वही रामू मल्लाह बाद में मुख्तार का शार्प शूटर बन गया. मुख्तार ने रामू मल्लाह के घर की बाहरी दीवार पर अंदर से बाहर तक एक छेद किया, रंजीत के घर में भी ऐसा ही सुराख करवाया गया था. रामू मल्लाह के घर के सुराख से अब सीधे रंजीत के आंगन में देखा जा सकता था.

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रंजीत एक दिन अपने आंगन में घूम रहा था, मौका देख मुख्तार ने उसपर गोली चलाई. निशाना इतना अचूक था कि एक गोली ने ही रंजीत सिंह को वहीं ढेर कर दिया. रंजीत की हत्या किसके कहने पर और इसे किसने अंजाम जिया यह जल्द ही इलाके में फैल गया. अब मुख्तार और उसके गुरुओं साधु और मकनू का सिक्का गाजीपुर से वाराणसी तक जमने लगा . उस गिरोह का नाम था साधु मकनू गिरोह और उसका गुर्गा मुख्तार अंसारी था. बाद में साधु और मकनू के मरने के बाद इस गिरोह का सरगना मुख्तार अंसारी बन गया, जो उसका अपराध के क्षेत्र में पहला कदम था.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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