Mukhtar Ansari: जेल में भी था मुख्तार का रुतबा, कांपते थे जेलकर्मी

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Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी को ऐसे ही अपराध की दुनिया का बादशाह नहीं कहा जाता था. उसने माफिया डान बनने का सफर जो पूरा किया इसमें 18 साल जेल में बिताए. कहने वाले कहते हैं कि यह तो समय का ट्रिगर था जो आखिरकार दब गया, वरना मुख्तार का साम्राज्य जेल में भी कम नहीं रहा. तो जर्नलिस्ट मंच के मंच से जानते हैं मुख्तार का जेलनामा.

मछलियां खाने के लिए गाजीपुर जेल में खुदवाया था तालाब

यूपी की जेलों में मुख्तार के रूतबे का एक उदाहरण गाजीपुर जेल का है. 2005 में मऊ में हिंसा भड़कने के बाद मुख्तार अंसारी ने कोर्ट में समर्पण किया था. उसे न्यायिक हिरासत में गाजीपुर जेल में रखा गया था. मुख्तार तब विधायक था. उसने ताजी मछलियां खाने के लिए जेल में ही तालाब खोदवा दिया था. पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी इस बात को माना था. मुख्तार तब गाजीपुर जेल में डीएम समेत बड़े अधिकारियों के साथ बैडमिंटन खेला करता था.

एक वर्ष से अधिक खाली रही जेलर की कुर्सी

मुख्तार अंसारी लंबे समय तक पंजाब की रोपड़ जेल में भी बंद था. वहां से उसे अप्रैल 2021 में यूपी की बांदा जेल शिफ्ट किया गया. इसका असर ये हुआ कि कोई भी जेलर इस जेल का चार्ज लेने के लिए ही तैयार नहीं हुआ. बाद में दो जेल अधिकारियों विजय विक्रम सिंह और एके सिंह को भेजा गया. जून 2021 में बांदा जिला प्रशासन ने जेल पर छापा मारा. उस दौरान कई जेल कर्मचारी मुख्तार की सेवा में लगे मिले. तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल और एसपी अभिनंदन की जॉइंट रिपोर्ट पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह और 4 बंदी रक्षक सस्पेंड कर दिए गए थे.

जेल के कैमरे बंद हो जाते थे

मुख्तार दो साल से बांदा जेल में बंद था. मुख्तार को स्पेशल हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया था. चर्चाओं के मुताबिक उसकी बैरक दूसरे कैदियों से अलग थी. ये बैरक जेल के बीच वाले गेट के पास ही बनी है. गेट के पास ही वह हर रोज घंटे-दो घंटे कुर्सी डालकर बैठता था. वहीं जेल अधिकारियों और दूसरे कैदियों से मिलता था. मुख्तार जितनी देर अपनी बैरक से बाहर रहता था, तब तक जेल के उस हिस्से के CCTV बंद रहते थे, ताकि वह किससे मिल रहा है, यह किसी को पता न चले.

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मुख्तार की बैरक में मिले थे दशहरी आम, बाहर का खाना

जून, 2022 में बांदा जेल में डीएम ने छापा मारा था. सूत्र बताते हैं कि तब मुख्तार की बैरक में दशहरी आम के साथ-साथ होटल का खाना मिला था. मुख्तार का रुतबा इतना था कि वह जो सुविधा चाहता, वह उसे बैरक में ही मिल जाती थी.बताया जाता है कि मुख्तार जब ट्रांसफर होकर बांदा जेल आया, तो उसके गुर्गे जेल के आसपास किराए पर कमरा लेकर रहने लगे थे. मुख्तार के बड़े भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने बांदा जेल में मुख्तार की हत्या का अंदेशा जताया था.

 

 

 

 

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