बहुचर्चित सिकरौरा कांड : पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह एक बार फिर दोषमुक्त, चार को उम्रकैद

चंदौली में 37 वर्ष पूर्व हुआ था हत्याकांड, सात लोगों की गयी थी जान

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प्रयागराज: बाहुबली पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह को अपने खिलाफ दर्ज अधिकांश मामलों से बरी किया जा चुका है. इन्ही मामलों में एक को प्रयागराज हाइकोर्ट में चुनौती दी गई थी जो तकलीफ का सबब बनी हुई थी. यह मामला लगभग 37 साल पहले बलुआ (चंदौली) के सिकरौरा गांव में हुआ सामूहिक हत्याकांड से जुडा है. महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इस हत्याकांड में बृजेश सिंह समेत एक दर्जन लोगों को दो बार बरी किया जा चुका है. इस आदेश को चुनौती हाइकोर्ट में दी गयी थी. बहरहाल हाइकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने और साक्ष्य के अवलोकन के बाद बृजेश सिंह समेत छह लोगों को दोषमुक्त करार दिया. वहीं नामजद चार अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

क्या था मामला

आपको बता दें कि नौ जनवरी 1986 की देर रात असलहों से लैस हमलावरों ने सिकरौरा गांव के एक घर पर धावा बोला था। हमलावरों ने सिर्फ वहां पर गोलियां चलाई बल्कि धारदार हथियारों का भी प्रयोग किया. परिणाम था कि मासूम बच्चों समेत 7 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में घायल हीरावती ने पंचम सिंह, राकेश सिंह, देवेंद्र सिंह और वकील सिंह को नामजद करने के साथ अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. विवेचना के बाद पुलिस ने इस मामले में दीना सिंह, नरेंद्र सिंह उर्फ मामा, कन्हैया सिंह विजयी सिंह, मुसाफिर सिंह और बृजेश सिंह समेत एक दर्जन लोगों को भी आरोपित बनाया था. बृजेश सहित सभी आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था. बृजेश को जमानत पर छूटने के बाद अगले तीन दशकों तक पुलिस तलाश करती रही.

पहले छूट चुके थे सभी

सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई तो बृजेश सिंह की फाइल को फरारी के चलते अलग कर दिया गया. बचे आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में ट्रायल चला। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने और साक्ष्य के अवलोकन के बाद सभी को बरी कर दिया था. आरोपितों में से तीन की मौत भी हो चुकी है. इसके खिलाफ अपील हाई कोर्ट में की गई थी. अलबत्ता बृजेश का मामला उनकी उड़ीसा से नाटकीय ढंग से दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद शुरू हुआ. सालों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद बृजेश को भी बरी कर दिया गया. शासन की तरफ से इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की गई।

परस्पर विरोधी बयान के चलते मामला टिका नहीं…

प्रयागराज हाइकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की बेंच के समक्ष सुनवाई शुरू हुई. बचाव पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष तिवारी और सूरज सिंह ने पक्ष रखा. गवाहों के परस्पर विरोधी बयान और उनमें समानता नहीं होने से तथ्यों की कसौटी पर मामला टिक नहीं सका. बृजेश सिंह समेत छह को कोर्ट ने बरी कर दिया. अलबत्ता नामजद लोगों को राहत नहीं मिली और उन्हे सजा सुनाई गई.

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