मोदी कन्याकुमारी में लगाएंगे ध्यान, काशी में होगा मतदान
वर्ष 2019 में भी चुनाव प्रचार के बाद पहुंच गए थे उत्तराखंड के बाबा केदारनाथ धाम
प्रधानमंत्री के ध्यान को चुनावी चश्मे से देख रहा विपक्ष, चुनाव आयोग से शिकायत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अनोखा अंदाज ही भारत की राजनीति में हमेशा खलबली मचाता रहा है. जहां अब तक उनकी रैलियों, रोड शो व मीडिया को दिए साक्षात्कार से विपक्ष पस्त था तो अब उनके आध्यात्मिक पल को लेकर भी परेशान हो गया है. बात चुनाव प्रचार के बाद की हो रही है. 30 मई की शाम प्रचार का शोर थम जाएगा.
इसके बाद पीएम मोदी सीधे दक्षिण में कन्याकुमारी पहुंच जाएंगे. वहां पर विवेकानंद रॉक पर ध्यान लगाएंगे. देश-विदेश की मीडिया का पूरा ध्यान उनकी ओर होगा. जनता भी उस पल को नहीं छोड़ेगी. बस इसी आशंका में विपक्ष के माथे पर बल पड़ गया है, क्योंकि एक जून को चुनाव के अंतिम चरण का मतदान होगा.
पीएम मोदी के इस आध्यात्मिक अनुष्ठान को रोकने के लिए विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है. हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव अभियानों के अंत में आध्यात्मिक यात्राएं करने के लिए जाना जाता है. इसके अनुरूप, वह 30 मई को कन्याकुमारी पहुंचेंगे और 1 जून तक वहां रहेंगे. इससे पूर्व भी वर्ष 2019 में उन्होंने केदारनाथ का दौरा किया था. वर्ष 2014 में उन्होंने शिवाजी के प्रतापगढ़ का दौरा किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मई से 1 जून तक तमिलनाडु के कन्याकुमारी में प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल का दौरा करेंगे. इस दौरान पीएम मोदी लोकसभा चुनाव अभियान के समापन पर ध्यान में रहेंगे. प्रधानमंत्री रॉक मेमोरियल में 30 मई की शाम से 1 जून की शाम तक ध्यान मंडपम में उसी स्थान पर दिन-रात ध्यान करेंगे जहां स्वामी विवेकानंद ने ध्यान किया था.
इसी स्थान पर विवेकानंद ने एक विकसित भारत का देखा था सपना
कन्याकुमारी का यह स्थान सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अहम स्थान है. इस जगह स्वामी विवेकानंद को भारत माता का विजन दिखा था. इस शिला का स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा. लोगों का मानना है कि जैसे सारनाथ गौतम बुद्ध के जीवन में एक विशेष स्थान रखता है, वैसे ही यह शिला स्वामी विवेकानन्द के जीवन में भी वैसा ही स्थान रखती है. देश भर में घूमने के बाद वे यहीं पर पहुंचे और तीन दिनों तक तपस्या की. एक विकसित भारत का सपना देखा.
योगी ने मच्छर व माफिया से पूर्वांचल को किया मुक्त: अमित शाह
देवी पार्वती ने इसी स्थान पर की थी भगवान शिव की प्रतिक्षा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भी भगवान शिव की प्रतीक्षा करते समय उसी स्थान पर एक पैर पर ध्यान किया था. यह भारत का सबसे दक्षिणी छोर है. इसके अलावा, यह वह स्थान है जहां भारत की पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं मिलती हैं. यह हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन बिंदु भी है. पीएम मोदी कन्याकुमारी जाकर राष्ट्रीय एकता का संकेत दे रहे हैं.