मोदी के तीन साल हो गये पूरे, क्या मिला?
2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे 16 मई को आए थे, जिसमें बीजेपी ने भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। आज बीजेपी को सत्ता में आए तीन साल पूरे हो गए। किसी ने मोदी सरकार के तीन साल के कार्यकाल को बेहतर बताया तो किसी ने फेल बताया।
केंद्र में आज नरेंद्र मोदी सरकार को तीन साल पूरे हो गए। जाहिर है कि उसके कामकाज, अंतर्राट्रीय क्षितिज पर भारत की स्थिति, घरेलू मोर्चों पर चुनौतियों से जूझने का दम आदि परखा जायेगा। तीन साल पूरे होने के दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम् के यहां सीबीआई के व लालू के 22 ठिकानों पर आयकर के छापों से सरकार के आगामी कदमों की एक झलक मिल जायेगी।
देश में आर्थिक विकास को गति देने, उद्योगों को बढ़ावा देने, निवेश को आकर्षित करने और देश के अंदर सकारात्मक माहौल तैयार करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर लोगों का भरोसा भले ही बढ़ रहा हो, लेकिन जम्मू एवं कश्मीर के मौजूदा हालात में सुधार के लिए अगर जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो यह मोदी सरकार की सबसे बड़ी असफलता बन सकती है। उपलब्धियों की फेहरिश्त में कश्मीर एक बदनुमा दाग की तरह उभरा है।
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चुनाव से पहले लोगों को विश्वास दिलाया गया था कि अगर पाकिस्तान गुस्ताखी करेगा, देश पर भीतर से या बाहर से हमले होंगे तो शेर ऐसा दहाड़ेगा कि सबकी बोलती बंद हो जाएगी। भारी बहुमत से चुनाव जीते उन्हें तीन साल हो गए हैं, इन तीन सालों में लोग कंफ्यूज हो गए हैं कि वे न जाने कब किसकी बोलती बंद करे दें और कब अपनी बोलती बंद कर लें? पहले अखलाक, नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर लोग उनकी राय सुनने को तरस गए। अब सुकमा में हमला हुआ, कश्मीर सुलगता रहा, लेकिन पीएम नहीं बोले, दो भारतीय सैनिकों की अपमानजनक हत्या हुई, लेकिन पीएम के जोरदार बयान का इंतजार ही रहा। ऐसा बयान नहीं आया।
साल 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव के नतीजे आज ही के दिन यानी 16 मई को आए थे। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। केंद्र में तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पाटीर् को अबतक की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। कुल 428 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी को 282 सीटों पर जीत मिली थी। जब नतीजे आ रहे थे तो नरेंद्र मोदी अहमदाबाद में अपनी माँ से मिलने गए थे. मां से मिलने से पहले उन्होंने ट्वीट किया, ”भारत की विजय। अच्छे दिन आने वाले हैं।”
लेकिन विपक्ष की राय में सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है। वहीं राजनीतिक विश्लेषक सरकार के कामकाज को मिलाजुला बता रहे हैं।
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तीन साल बीत जाने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी से हिसाब मांगना जायज है। मन की बात तो बहुत हो गई, मतलब की बात कब होगी। अच्छे दिन के सपने सच कब होंगे। भारतीय जनता पार्टी ने हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा किया था। सालाना एक लाख 35 हजार नौकरी नहीं पैदा कर पा रही है। भारतीय मजदूर संघ के मुताबिक नोटबंदी की वजह से 20 लाख नौकरियां चली गईं। आज भी 35 किसान हर रोज आत्महत्या करते हैं। ऐसे में बेहतर क्या हुआ है?
लोग मान रहे हैं कि जुबान दबाने का दमन चक्र बेहतर हुआ है। तरक्की और विकास लोगों की जिंदगी से गायब हो गए हैं।
इस कोढ़ में खाज बना है कश्मीर, लेकिन कश्मीर घाटी के ताजा हालात को देखकर ऐसा नहीं लगता कि केंद्र सरकार 56 इंच सीने जैसा कोई कदम उठाने जा रही है। घाटी में सुरक्षा बलों की उपस्थिति पहले की अपेक्षा काफी बढ़ी है और निर्वाचन आयोग को भी राज्य सरकार ने कहा है कि घाटी में अभूतपूर्व तनाव को देखते हुए सेना की भूमिका बढ़ने वाली है जिससे स्थिति और ‘भयावह’ होने वाली है।
मोदी व उनके समर्थकों को समझना होगा कि तीन साल पूरे होने की खुशी में प्रचार अभियानों, टीवी, रेडियो और होर्डिंग्स पर छाए रहने की कला लंबी चलने वाली नहीं है। मोदी को लोकतंत्र के हित में जनता से ईमानदार दोतरफा संवाद करने के साथ ही घरेलू व अंतर्राट्रीय मोर्चों पर उठ रही विरोध की आवाज को समझना होगा।
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