बेहद खास है माघ मास की मौनी अमावस्या; जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत नियम
भारतीय संस्कृति के अनुसार द्वादश माह के प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसमें शनैश्चरी अमावस्या, कुशोत्पाटनी अमावस्या, हरियाली अमावस्या, सोमवती अमावस्या तथा कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या (दीपावली) तिथि खास है। अमावस्या तिथि के दिन गंगा स्नान, दान एवं श्राद्ध तथा पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है।
प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि माघमास की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या के नाम से जानी जाती है। चंद्रमा व सूर्यग्रह के मकर राशि में एक साथ होने पर मौनी अमावस्या का संयोग बनता है। इस बार मौनी अमावस्या पर मकर राशि में चंद्रमा, सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र एवं शनिग्रह विराजमान रहेंगे।
अमावस्या तिथि बुधवार, 10 फरवरी को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 1 बजकर 09 मिनट पर लगेगी जो कि गुरुवार, 11 फरवरी को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। गुरुवार, 11 फरवरी को संपूर्ण दिन अमावस्या तिथि का मान होने से मौनी अमावस्या का महापर्व आज ही मनाया जायेगा। पितृशांति के लिए श्राद्धकृत्य आज ही किये जाएंगे।
पूजा का विधान-
विमल जैन के मुताबिक आज के दिन शुभ संयोग में गंगा-स्नान करके दान पुण्य करने का विशेष फल मिलता है। इस पर्व पर मौन रहकर स्नान करने की धार्मिक मान्यता है । मौन रहते हुए ही देव-दर्शन व दान-पुण्य करना शुभ फलदायी मान ना गया है। मौनी अमावस्या के दिन ब्राह्मण को घर पर आमंत्रित करके उनको सात्विक भोजन कराना चाहिए।
यथासामर्थ्य दान-दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। ब्राह्मण को नवीन वस्त्र, आंवला, तिल व तिल का तेल तथा काले तिल व गुड़ से निर्मित लड्डू को नये लाल वस्त्र में बांधकर देने का विधान है
विशेष-
विमल जैन ने बताया कि भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के साथ पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने पर आरोग्य व सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष को जल से सिंचन करके विधि-विधान पूर्वक पूजा के पश्चात् 108 बार परिक्रमा की जाती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर इष्ट-देवी देवता एवं आराध्य देवी देवता की पूजा अर्चना से सुख-समृद्धि का योग बनता है।
पीपल वृक्ष पूजा के मंत्र-
ॐ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्ये विष्णुरूपिणे अग्रतो शिवरूपाय पीपलाय नमो नमः। अमावस्या तिथि पर पितरों की पूजा-अर्चना करने से जीवन में भौतिक सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है। पितरों के निमित्त कांसे के खाली पात्र के साथ ताम्रपात्र में दूध, जल, काले तिल, काले वस्त्र, स्वर्ण एवं गेहूं का दान करना लाभकारी रहता है।
आज के दिन सफेद तिल भगवान विष्णु जी को समर्पित किया जाता है। काला तिल पितरों के तर्पण में प्रयोग होता है। शनि, राहु एवं केतु ग्रह की शान्ति के लिए काले तिल, तिल का तेल, सरसों का तेल एवं अन्य काले रंग की वस्तुओं का दान करना विशेष लाभकारी माना गया है। मौनी अमावस्या पर दिया गया दान मेरु समान फल देनेवाला माना गया है।
विमल जैन ने बताया कि आज के दिन जरूरतमंद असहाय लोगों को ऊनी वस्त्र, कम्बल, स्वेटर एवं अन्य उपयोगी वस्तओं का दान करना चाहिए। सर्य, मंगल व गरु ग्रह की कृपाप्राप्ति के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलवाकर लोगों को ठंड से राहत पहुंचाना चाहिए। जिनकी जन्मकुण्डली में पितृदोष हो, उन्हें विधि-विधानपूर्वक पितृदोष की शांति करवानी चाहिए।
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