पत्नी से कहा था कैंप पहुंच कर फिर करुंगा बात और फिर…
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में करीब 40 सीआरपीएफ जवान शहीद (martyrs) हो गए हैं और कई घायल हैं। शहीदों में यूपी वाराणसी के रमेश यादव का नाम भी शामिल है। बताया जा रहा है। कि हमले से पहले वो अपनी पत्नी से फोन पर बात कर रहे थे। बात करते समय उन्होंने घर की याद आने का भी जिक्र किया और कहा कि कैंप पहुंचकर बात करने की बात कही थी।
रेनू ने खुद उन्हें फोन मिलाया लेकिन फोन नहीं मिला
बताया जा रहा है कि हादसे से कुछ देर पहले रमेश ने पत्नी रेनू और परिजनों से फोन पर बात की थी। उन्होंने बताया कि वह जम्मू कैम्प से श्रीनगर जा रहे हैं और वहां पहुंचकर फिर बात करेंगे। काफी देर बाद जब रमेश का फोन नहीं आया तो रेनू ने खुद उन्हें फोन मिलाया लेकिन फोन नहीं मिला। रात आठ बजे सीआरपीएफ हेड क्वार्टर से उनके शहीद होने की खबर मिली तो परिवार में कोहराम मच गया। उनके पिता श्याम नारायण यादव का रो-रोकर बुरा हाल है। श्यामनारायण यादव ने कहा कि उनका कमाने वाला बेटा शहीद हो गया, अब घर कैसे चलेगा।
मैं अपना एक बेटा खो चुका हूं, दूसरे को भी मातृभूमि की खातिर मर-मिटने के लिए भेजूंगा लेकिन पाकिस्तान को करारा जवाब मिलना चाहिए।’ ये शब्द हैं उस पिता के जिसने अपने नौजवान बेटे को गुरुवार को पुलवामा में हुए हमले में खो दिया है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 38 जवान शहीद हो गए हैं।
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ये सभी जवान देश के अलग-अलग कोने से सैन्य बल में शामिल होकर देश की सेवा कर रहे थे। कोई अपने परिवार से दो दिन पहले मिलकर वापस गया था तो कोई उस वक्त अपनी पत्नी से फोन पर ही बात करके परिवार से मिलने की इच्छा जता रहा था कि अचानक तेज धमाका हुआ और सब कुछ खत्म। अपने लाल के शहादत की खबर सुनकर घरवालों के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे हैं। उन्हें गर्व तो है कि उनके बेटे ने देश के लिए कुर्बानी देपाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए’
पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए
पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों में से बिहार के भागलपुर के रतन ठाकुर भी शामिल थे। उनके पिता को जब अपने बेटे की शहादत की खबर मिली तो वह पिता बेसुध हो गए। वह कहते हैं, ‘मैं देश की मातृभूमि की सेवा में एक बेटा खो चुका हूं। मैं अपने दूसरे बेटे को भी मातृभूमि की खातिर लड़ने और कुर्बान होने को तैयार रहने के लिए भेजूंगा लेकिन पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब मिलना चाहिए। दी लेकिन साथ ही गुस्सा भी है। गुस्सा उस देश के लिए जिसने नफरत के नाम पर आतंक के बीच बोए और जवानों पर कायरता पूर्ण हमला कर दिया।
पुलवामा आंतकी हमले में पंजाब के मोगा के रहने वाले जवान जयमाल सिंह भी शहीद हुए। बताया जा रहा है कि सीआरपीएफ की जिस बस पर हमला हुआ उसे जयमाल सिंह ही चला रहे थे। जैसे ही काफिला पुलवामा पहुंचा एक कार बम उनकी बस में भिड़ी और तेज धमाके में परखच्चे उड़ गए। जयमाल सिंह की शहादत की खबर मिलते ही उनके परिवार में गम का माहौल है।
20 दिन की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर गए थे
शहीद होने वालों में उत्तराखंड के दो जवानों भी शामिल थे। शहीद वीरेंद्र सिंह उधमसिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर भुढ़िया गांव के रहने वाले हैं। इनके दो छोटे बच्चे है। बड़ी बेटी 5 साल की, जबकि ढाई साल का बेटा है। वीरेंद्र दो दिन पहले ही 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जम्मू के लिए रवाना हुए थे।
दूसरे शहीद जवान मोहन लाल रतूड़ी उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड के बनकोट का रहने वाले हैं। शहीद जवान मोहन लाल रतूडी 55 साल के थे। वर्तमान में मोहन लाल का परिवार देहरादून के डिफेंस कालोनी में रहता है। मोहन लाल सीआरपीएफ की 76 वीं वाहिनी में एएसआई थे।
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