Manoj kumar passes Away: भारतीय सिनेमा के जाने माने बड़े चेहरे और देशभक्ति फिल्मों की बदौलत अपनी अलग पहचान बनाने वाले दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित मनोज कुमार और ‘भारत कुमार’ का आज 87 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने आज मुंबई के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली.
भिखारी के रोल से फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री…
बता दें कि मनोज कुमार ने फिल्म इंदुरत्य में अपना पहला रोल एक भिखारी का किया था. वह साल था 1956 जब हरिकिशन गोस्वामी परिवर्तित नाम मनोज कुमार 19 साल की उम्र में दिल्ली से मुंबई फिल्मों में हीरो बनने का सपना लेकर आए थे.तब 1957 में फिल्म फैशन में 19 साल के लड़कों को भिखारी का रोल मिलता है और वह इसे बखूबी निभा लेते थे.
1961 में मिला हीरो का ब्रेक…
मुंबई में करीब 5 साल तक चक्कर काटने के बाद साल 1961 में मनोज कुमार को एक फिल्म में हीरो का रोल मिला. उस फिल्म का नाम था ‘ कांच की गुड़िया”. इसके बाद उन्होंने विजय भट्ट की फ़िल्म ‘हरियाली और रास्ता’ में काम किया और फिर मनोज की जिंदगी बदल गई. उन्होंने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. करीब 4 दशक के कैरियर में उन्होंने कई फ़िल्में बनाई और कई में काम किया.
पाकिस्तान से मनोज का रिश्ता…
बता दें कि मनोज कुमार का जन्म अब के पाकिस्तान तब के ब्रिटिश भारत (मौजूदा समय में जिसे खैबर पख्तूनख्वा ) के ऐबटाबाद में हुआ था. जंडियाला शेर खान और लाहौर जैसे इलाक़ों से उनका ताल्लुक़ रहा.
ALSO READ : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भेजी लिस्ट, ये न्यायिक अधिकारी बनेंगे हाईकोर्ट के जज
दिलीप कुमार ने जगाई हीरो बनने की चाह
मनोज कुमार हमेशा कहते थे कि, उनके अंदर हीरो बनने की चाह थी जिसे दिलीप कुमार ने जगाई थी. उन्होंने कहा कि, उन्होंने बचपन में दिलीप कुमार की फिल्म, शबनम देखी थी और उस फिल्म में उनका नाम था मनोज कुमार. बस बचपन से ही उन्हें फ़िल्मों की दुनिया और ‘मनोज कुमार’ नाम दोनों पसंद आ गए.
ALSO READ: नहीं रहे मनोज कुमार, जानें कैसे मिला भारत कुमार का नाम…
70 के दशक में दी कई हिट फ़िल्में…
इतना ही नहीं मनोज कुमार के लिए भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में एक शानदार दौर आया जब सभी लोग उनको प्यार करने लगे. इसका असर यह हुआ कि 70 के दशक में उन्होंने कई फिल्में बनाई और उनकी सभी फ़िल्में हिट हो गई जिसमें उपकार, पूरब और पश्चिम, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति शामिल हैं.