Lucknow ke Raam: प्रभु राम के अस्तित्व से ऐसे जुड़ा है मां चंद्रिका देवी मंदिर ?
Lucknow ke Raam: प्रभु श्रीराम कण – कण में विद्यमान हैं और जिस शहर का नाम ही प्रभु राम के लाडले भाई लक्ष्मण के नाम पर पड़ा हो वो शहर प्रभु राम से कैसे अनभिज्ञ रह सकता है. लखनऊ के कई स्थानों के नाम और अस्तित्व प्रभु राम से जुड़ा हुआ है. इसमें हमने कल लखनऊ के अलीगंज स्थित राम राम बैंक चौराहे के विषय में जाना था. इसी कड़ी में आज हम लखनऊ के बीकेटी के कठवारा ग्राम में स्थित चंद्रिका देवी मंदिर के इतिहास के पन्नों को पलटेंगे और जानेंगे कैसे यह स्थान प्रभु श्री राम से संबंध रखता है. आइए जानते हैं….
लखनऊ का चंद्रिका देवी मंदिर घूमने के शीर्ष स्थानो में से एक माना गया है. इस मंदिर में मां चंद्रिका देवी ‘पिंडिस रूप’ (तीन पिंड या सिर वाली चट्टान) में विराजमान हैं. यह मंदिर हिंदू देवी चंडी देवी को समर्पित है जो हिंदू देवी मां दुर्गा का एक रूप हैं. नवरात्रि के दिनों में यहां काफी भीड़ होती है और आस पास के शहरो से काफी लोग माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.चंद्रिका देवी मंदिर और इसके आस-पास के क्षेत्रों का रामायण के साथ बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक संबंध है और इसे माही सागर तीर्थ कहा जाता है. स्कंद और कर्म पुराण के धन्य ग्रंथों में इस चंद्रिका देवी मंदिर का विवरण है.
प्रभु राम के आने पर प्रकट हुई थी माता चंद्रिका देवी
बीकेटी के कठवारा ग्राम में बने मां चंद्रिका देवी के मंदिर का नाता त्रेता और द्वापर युग से माना जाता है. जनश्रुति में दो कथाएं प्रचलित हैं. पहली कथा मंदिर के दाएं गोमती के पास बने रामघाट से जुडी हुई है. इसको लेकर चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय के प्रो. सत्येंद्र बताते है कि, भौली गांव के निवासी मानते है कि, रामघाट पर भगवान श्रीराम आए थे. वहीं दूसरी कथा रामवनगमन से जुड़ी हुई है, जिसमें बताते है कि, प्रभु राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास जा रहे थे. वहां अंधेरा होने पर यहां पहुंचे तो चांदनी का तरह उजाला हो गया और देवी प्रकट हुई. इसके बाद से इस स्थान को देवी चंद्रिका देवी के नाम से जाना जाने लगा. यह कहा जाता है कि, लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु भी अश्वमेघ यज्ञ के समय यहां आए थे.
यह है मंदिर का इतिहास
त्रेता युग में भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण के बड़े पुत्र राजकुमार चंद्रकेतु से चंद्रिका देवी मंदिर का संबंध बताया जाता है कि, गोमती नदी एक बार उनके अश्वमेघ घोड़े ने पार कर ली थी. रास्ते में वह थक गया या अंधेरा हो गया, इसलिए उसने घने जंगल में विश्राम करने का निर्णय लिया. फिर उन्होंने माता दुर्गा से उनका उद्धार माँगा। राजकुमार चंद्रकेतु को आश्वस्त करने के लिए देवी दुर्गा के सामने शीतल चांदनी छा गई. कृतज्ञ राजकुमार ने फिर यहां एक भव्य मंदिर बनाया. 12वीं शताब्दी में विदेशी आक्रमणकारियों ने इसे नष्ट कर दिया.
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छोटा टापू के नाम से भी मंदिर की पहचान
लखनऊ से लगभग 28 किमी दूर स्थित चंद्रिका देवी मंदिर लगभग 300 साल पुराना है. चंद्रिका देवी मंदिर दूर जंगलों में है और सीतापुर रोड पर मुख्य मार्ग से लगभग छह किमी दूर स्थित है. यह मंदिर स्थल गोमती नदी से चारों ओर घिरा हुआ है. यही वजह है कि इस स्थान को छोटा टापू के नाम से भी जाना जाता है. चंद्रिका देवी कुंड में भगवान शिव की बहुत सुंदर बड़ी प्रतिमा बनी हुई है, भक्त मां चंद्रिका देवी मंदिर में चुनरी बांधने आते हैं. मन्नत पूरी होने पर देवी मां को प्रसाद, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर और घंटा चढ़ाते हैं.