भाई-बहन संग डोली में सवार होकर मौसी के घर पहुंचे प्रभु जगन्नाथ, रथयात्रा मेला कल से

भक्तों ने करा दिया था ज्यादा स्नान तो हो गये थे बीमार

0

भगवान जगन्नाथ के स्वस्थ्य होने के बाद शनिवार की दोपहर बाद साढ़े तीन बजे जगन्नाथ प्रभु की डोली यात्रा अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा यानी भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर के लिए निकली. गाजे-बाजे और भक्तों के जय जगन्नाथ, हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच शोभायात्रा अस्सी चौराहे से होते हुए आगे बढ़ी. भाई-बहन के साथ डोली में सवार भगवान जगन्नाथ को नवाबगंज, खोजवां, शंकुलधारा द्वारिकाधीश मंदिर, बैजनत्था मंदिर होते हुए रथयात्रा बेनीराम के बगीचे में लाया गया. यहां प्रभु रात्रि विश्राम करेंगे. रथयात्रा-महमूरगंज मार्ग पर प्रभु का श्रीयंत्राकार रथ सजकर तैयार है. रविवार की सुबह प्रभु जगन्नाथ, भाई और बहन के साथ रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे. जिला एवं पुलिस प्रशासन की ओर से मेले की सुरक्षा व्यवस्था कर दी गई.

Also Read: काशी विद्यापीठ में हंगामा… सुधांशु त्रिवेदी के कार्यक्रम को रद्द करने की मांग

काशी का रथयात्रा मेला यहां के धार्मिक उत्सवों में से एक है और इसे लक्खा मेले के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि अब उतनी भीड़ नही होती. रथयात्रा के लिए मान्यता है कि जो लोग मेले में भाग लेकर भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेते हैं, उनके जीवन में शांति, समृद्धि और खुशी आती है. भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के साथ अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा स्थित अपनी मौसी के घर स्वस्थ्य होने के बाद आते हैं. अस्सी से रथयात्रा की दूरी करीब तीन किमी है. इस मेले की खासियत यहां की ननखटाई है, जिसका भोग भी भगवान को लगता है. कई तरह की ननखटाई यहां के मेले में मिल जाएगी. इसके अलावा चाट, फास्ट फूड, फल और बच्चों के खिलौनों आदि की दुकानें भी सजती हैं.

नौ जुलाई को होगा मेले का समापन

मेला की समाप्ति नौ जुलाई की देर रात के बाद होगी. लोकमान्यताओं के अनुसार भीषण गर्मी में भक्तों के प्रेम में वशीभूत भगवान उन्हें स्नान कराने से मना नहीं कर पाते. भक्त प्रभु को इतना स्नान करा देते हैं कि वह बीमार पड़ जाते हैं. इसके बाद वे 15 दिनों (आषाढ़ कृष्ण पक्ष, अमावस्या) तक स्वास्थ्य लाभ लेते हैं. इस दौरान मंदिर का कपाट बंद कर भगवान को तुलसी, परवल के जूस, पथ्य सहित अन्य औषधियां दी जाती हैं. उपचार से स्वस्थ्य होने के बाद भगवान जगन्नाथ ने शुक्रवार को अपने अस्सी स्थित मंदिर में भक्तों को दर्शन दिया. इसके बाद शनिवार को मौसी के यहां रहकर आहार-विहार करने चले आते हैं.

तीन दिन रहेगा रूट डायवर्जन

काशी के प्रसिद्ध रथयात्रा मेले में उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ के मद्देनजर ट्रैफिक ने सात से 10 जुलाई तक रूट डायवर्जन लागू किया है. यह व्यवस्था रोजाना शाम चार बजे से भोर तीन बजे तक लागू रहेगी. एडीसीपी ट्रैफिक राजेश कुमार पांडेय ने लोगों से रूट डायवर्जन का पालन करने की अपील की है. एंबुलेंस और शव वाहन को इस प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है.

यह है डायवर्जन

-मंडुवाडीह से आने वाले सभी वाहनों के लिए आकाशवाणी तिराहा से रथयात्रा चौराहे तक जाने पर प्रतिबंध रहेगा. सिगरा चौराहे से रथयात्रा तक जाने वाले भारी वाहनों पर भी प्रतिबंध रहेगा.
-बीएचयू, दुर्गाकुंड, भेलूपुर की ओर से रथयात्रा की तरफ आने वाले वाहनों को कमच्छा साईं मंदिर की तरफ मोड़ दिया जाएगा. मंडुवाडीह की ओर जानेवाले वाहन आकाशवाणी होते हुए महमूरगंज के रास्ते अपने गंतव्य को जाएंगे.
-लक्सा से रथयात्रा की ओर जाने वाले सभी प्रकार के वाहन गुरुबाग तिराहे से नीमामाई तिराहे की तरफ मोड़ दिया जाएगा. ये वाहन कमच्छा तिराहा होकर जाएंगे.
-सिगरा से रथयात्रा की ओर जाने वाले वाहनों को सिगरा चौराहे से महमूरगंज की तरफ और सोनिया पुलिस चौकी की तरफ मोड़ दिया जाएगा.
-महमूरगंज चौराहे से रथयात्रा की ओर जाने वाले वाहनों को आकाशवाणी तिराहा से सिगरा की ओर मोड़ दिया जाएगा.
-सिगरा चौराहा, आकाशवाणी, नीमामाई तिराहा के समीप कार, ऑटो, ई-रिक्शा, मोटर साइकिल, पैडल रिक्शा और सभी प्रकार के वाहन पार्क होंगे.

-इसके अलावा मंडुवाडीह तक आनेवाले भारी वाहन नो एंट्री खुलने के बाद मोहनसराय, रोहनिया, चांदपुर, मुड़ैला होते हुए आ सकते हैं. जिन भारी वाहनों को सिगरा तक आना है वह मोहनसराय, रोहनिया, चांदपुर, लहरतारा, धर्मशाला, इंग्लिशिया लाइन, मलदहिया होते हुए आ सकते हैं. सिगरा क्षेत्र से हरहुआ होकर बाबतपुर जानेवाले भारी वाहन नो एंट्री खुलने के बाद सिगरा, मलदहिया, चौकाघाट, ताड़ीखाना, पुलिस लाइन चौराहा, भोजूबीर, गिलट बाजार, तरना, हरहुआ होते हुए जा सकेंगे.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More