…जब लोगो के कपड़े सिल कर करती थी गुजारा ‘राधे मां’
खुद को देवी बताने वाली राधे मां एक बार फिर विवादों में हैं। एसएचओ की कुर्सी पर बैठ कर चर्चा में आई राधे मां आज कल सुर्खियों में हैं। आइये आपको बताते हैं कौन हैं राधे मां और उनके राधे मां बनने का अब तक का सफर। कैसे बनी राधे मां, कैसे पहुंची इस बुलंदियों पर। राधे मां की जिंदगी की मुश्किलों ने उन्हें मुंबई पहुंचा दिया और मुंबई पहुंचते ही राधे मां की जिंदगी बदल गई।
पति कतर की राजधानी दोहा में नौकरी करने चला गया
राधे मां को नहीं पता था कि उनकी जिंदगी इस कदर बदल जायेंगी। आईये आपको विस्तार से बताते हैं उनसे संबधित दिलचस्प बातें।पंजाब के एक साधारण परिवार में जन्मी सुखविंदर कौर कैसे राधे मां बन गई। बता दें की 18 की उम्र में राधे मां की शादी हो गई थी। जिसके बाद पति कतर की राजधानी दोहा में नौकरी करने चला गया।
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लोगों के कपड़े सिलकर गुजारा करती थी
इस दौरान सुखविंदर (राधे मां का असली नाम) लोगों के कपड़े सिलकर गुजारा करती थी। कुछ साल बाद 21 साल की उम्र में सुखविंदर कौर महंत रामाधीन परमहंस की शरण में जा पहुंची। परमहंस ने 6 महीने तक उन्हें दीक्षा दी और नाम दिया राधे मां।राधे मां नाम मिलने के बाद। उन्होंने पंजाब-हिमाचल में कई जगह अपनी चौकी लगाई और उनके लाखों भक्त बन गए।
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लगभग 14 साल पहले मुंबई जा पहुंची
इसके बाद वे लगभग 14 साल पहले मुंबई जा पहुंची। यहां उनकी मुलाकात हुई मुंबई के मशहूर करोड़पति बिजनेसमैन एमएम गुप्ता से। गुप्ता मुंबई की मशहूर एमएम मिठाईवाला दुकान के मालिक हैं। राधे मां से पहली मुलाकात के बाद ही वे उनके भक्त बन गए और किसी ने गुप्ता को बताया कि इनके पास चमत्कारिक शक्तियां है।
उनके भाई और पिता को सजा भी हो चुकी है
इसके बाद वे राधे मां को अपने बंगले पर ले गए। बंगले के ऊपरी दो मंजिलों पर उन्होंने राधे मां को रहने की जगह दी। इसके बाद राधे मां का चमत्कारी देवी कहकर प्रचार-प्रसार किया जाने लगा और राधे मां सुर्खियों में आ गई। राधे मां पर पहले भी कई आरोप लग चुके हैं। राधे मां की भाभी बलविंदर कौर की हत्या के मामले में उनके भाई और पिता को सजा भी हो चुकी है।
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…जिन्होंने 10-10 साल की सजा काटी
बलविंदर कौर के भाई जगतार सिंह ने गांव नानोनंगल में पिछले साल आरोप लगाया था कि उनकी बहन की हत्या में राधे मां भी शामिल थी। जगतार ने कहा था कि राधे मां के दो भाई और पिता ने उनकी बहन की हत्या की थी, जिन्होंने 10-10 साल की सजा काटी। एक बार राधे मां ने अपनी भाभी बलविंदर को इतना धमकाया था कि वह बेहोश ही गई थीं। जगतार ने बताया था कि उनकी बहन बलविंदर कौर का विवाह 29 नवंबर, 1995 को राधे मां के भाई सुखबीर सिंह उर्फ बिल्ला पुत्र अजीत सिंह निवासी दोरांगला से हुआ था।
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