वोटों के ‘ध्रुवीकरण’ से होगी बीजेपी की नईया पार!

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आर्थिक नीतियों को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता नेता यशवंत सिन्हा इसे लेकर हो रही अपनी कड़ी आलोचनाओं को लेकर बेपरवाह हैं और उनका कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में नौकरियों की कमी एक बड़ा मुद्दा होगी।

नोटबंदी के फैसले की कड़ी आलोचना की है

उनका मानना है कि राम मंदिर या संविधान के अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर मतदाताओं के ध्रुवीकरण के प्रयास काम नहीं आएंगे।सिन्हा ने सरकार के नोटबंदी के फैसले की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि अगर वह वित्त मंत्री होते तो हर हाल में इसका विरोध करते।

संकटग्रस्त क्षेत्रों में सुधार का कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा

सिन्हा ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा, “मुझे संतुष्टि है कि इस मुद्दे पर बहस हो रही है। इस पर काफी समझदारी भरा विचार विमर्श हो रहा है। मैंने जो तथ्य और आंकड़े दिए हैं, मैं उन पर कायम हूं। मुझे अब तक हमारी अर्थव्यवस्था के संकटग्रस्त क्षेत्रों में सुधार का कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा।”

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आरबीआई ने दरों में संशोधन नहीं किया है

उन्होंने कहा, “आरबीआई ने दरों में संशोधन नहीं किया है। राजस्व के मामले की बात करें, तो यहां भी संकेत दर्शाते हैं कि अगर वे राजस्व नहीं बढ़ाते, तो इस वर्ष जिस प्रकार व्यय हो रहा है, राजस्व घाटा लक्ष्य से पार हो जाएगा।”सिन्हा ने कहा कि यह अर्थव्यवस्था को लेकर उनका अपना विचार और उनका आकलन है और इसे लेकर कोई अन्य दृष्टिकोण भी हो सकता है।

लेकिन मैं खुश हूं कि ऐसा नहीं हुआ

उन्होंने कहा, “लेकिन उन्होंने एक भी मुद्दे पर जवाब नहीं दिया। मंत्रपरिषद के सदस्यों में से मेरे बेटे (नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा) सामने आए हैं। लोगों का कहना है कि इसे बाप-बेटे के बीच का मतभेद समझकर नजरअंदाज कर देना चाहिए। इससे यह इस हद तक ओछेपन के स्तर तक गिर गया था जिससे यह गंभीर मुद्दा ही खत्म हो सकता था। लेकिन मैं खुश हूं कि ऐसा नहीं हुआ।”

अभी इस प्रश्न का जवाब देना जल्दबाजी होगी

भाजपा के लिए क्या 2019 लोकसभा चुनाव मुश्किल होगा और क्या सत्तारूढ़ दल सत्तारूढ़ दल राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करेगी, यह पूछने पर भाजपा नेता ने कहा कि चुनाव में 18 महीने शेष हैं और अभी इस प्रश्न का जवाब देना जल्दबाजी होगी।उन्होंने कहा, “भारतीय मतदाता के बारे में कोई कयास नहीं लगाए जा सकते और 2004 के चुनाव को देखते हुए मैं यह जानता हूं।”

एक है नौकरियां और (दूसरा) बढ़ती कीमतें

उन्होंने कहा, “अर्थव्यवस्था में दो मुद्दे हैं। एक है नौकरियां और (दूसरा) बढ़ती कीमतें। भारतीय मतदाता को चिंता है कि मेरे बेटे को नौकरी मिली या नहीं। इससे कुंठा बढ़ती है। जहां तक रोजगार का सवाल है, यह एक प्रमुख मुद्दा होगा। घर-घर बेरोजगारी से प्रभावित होगा।”

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ध्रुवीकरण का देशव्यापी स्तर पर कभी असर नहीं हुआ

ध्रुवीकरण के मुद्दे पर सिन्हा ने कहा, “इस प्रकार के ध्रुवीकरण का देशव्यापी स्तर पर कभी असर नहीं हुआ। एक बात निश्चित है। या तो यह (मंदिर निर्माण) संबंधित पक्षों की रजामंदी से हो सकता है या फिर अदालत के फैसले से। आप तभी सफल होंगे, जब संघर्षपूर्ण माहौल होगा। ध्रुवीकरण तभी होगा। और यह हर बार काम नहीं करता।”

मोदी सरकार के बारे में एक ही बात अच्छी है कि…

सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार के बारे में एक ही बात अच्छी है कि अब तक उस पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे। उन्होंने कहा कि हालांकि आम आदमी को इससे कोई लाभ नहीं होता। उसे कुशल प्रशासन से ही लाभ होता है।उन्होंने कहा, “उस मामले में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आम आदमी को कोई राहत नहीं है।”सिन्हा ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। उन्होंने शेयर बाजार के रुख का जिक्र किया और कहा कि यह अध्ययन का विषय है। आरबीआई ने कहा है कि वह बाजार की अस्थिरता दूर करेगा।

इस सरकार के 3.5 वर्षो में कोई मांग नहीं है

उन्होंने कहा, “एक खेमा कहता है कि रुपये का अवमूल्यन होने देना चाहिए क्योंकि इससे निर्यात प्रभावित हो रहा है। हमें कोई स्पष्ट नीति उभरती नजर नहीं आ रही।”उन्होंने कहा, “आर्थिक दृष्टि से, निर्यात गिर गया है, विदेशी मांग नहीं है। औद्योगिक मांग नहीं है। अर्थव्यवस्था में कुल मिलाकर मांग नहीं है। यह निजी निवेश न होने का यह एक कारण है। यह गंभीर स्थिति है..क्योंकि आर्थिक विकास बढ़ती मांग के आधार पर ही होगा। इस सरकार के 3.5 वर्षो में कोई मांग नहीं है।”

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सिन्हा ने नोटबंदी के मुद्दे पर कहा कि वह इसका कड़ा विरोध करते।उन्होंने कहा, “यह एक लंबी बहस है कि नोटबंदी से क्या हासिल हो सकता है, क्या हुआ है और वैकल्पिक उपायों से क्या हासिल किया जा सकता है।”उन्होंने कहा, “हम नकदरहित अर्थव्यवस्था की बात कर रहे हैं। हमारे पास नकदरहित होने के कई उपाय हैं। मुझे लगता है कि (आय से अधिक संपत्ति के) 18 लाख मामले हैं और इन सभी मामलों में समय लगेगा। हम दुनिया को बता रहे हैं कि हमारा देश चोरों और कालाबाजारियों का देश है।”

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उन्होंने कहा, “हमें इनके परिणाम कब तक नजर आएंगे, हम नहीं जानते। तथ्य यह है कि जहां तक नोटबंदी का सवाल है, उन्होंने भारी भूल की है।”वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और इसे लागू किए जाने से उद्यमियों को होने वाली परेशानियों के सवाल पर उन्होंने कहा, “अब अचानक यह 1947 के बाद से अब तक का सबसे बड़ा सुधार बन गया है और वे इसका झुनझुना बजा रहे हैं। मुझे सचमुच कराधान को लेकर उनके ज्ञान पर संदेह है।”

सिन्हा ने कहा कि मांग पैदा करनी जरूरी है और सबसे पहले अर्थव्यवस्था में वस्तुओं की मांग के लिए निवेश पैदा करने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, रोजगार के जरिए लोगों की जेब में पैसा आएगा, जिससे खपत वाली वस्तुओं की मांग बढ़ेगी। लेकिन फिलहाल यह नहीं हो रहा।

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