लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आनी संजीवन प्राण उबारे
वाराणसीः रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला के प्रसंग लीला प्रेमियों को दंग करते हैं, भाव भरते हैं तो प्रसन्न व दुखी भी करते हैं. यह सब लीला के प्रसंगानुसार उनके चेहरे पर झलकता है. ऐसा ही हुआ रामलीला के 22वें दिन जब राक्षसों संग युद्ध में मेघनाद के ब्रह्मशक्ति प्रयोग से लक्ष्मण मूर्छित हो गए. इससे प्रभु श्रीराम तो दुखी हुए ही लीलाप्रेमी भी विचलित हो उठे. प्रभु के भाई के प्रति भावों में पगे संवाद और पवनसुत हनुमान के संवादों ने लोगों को लभाव विभोर कर दिया.
मंगलवार को लंका मैदान में चारों फाटक की लड़ाई, लक्ष्मण शक्ति हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी ले आने की लीला का मंचन किया गया. श्रीराम वानर-भालू वीरो के साथ लंका के चारों द्वार घेर लेने का विचार- विमर्श करते हैं. जामवंत, नील को पूर्वी, अंगद को दक्षिणी, हनुमान को उत्तरी और मध्य के प्रवेश द्वार पर श्रीराम-लक्ष्मण व विभीषण को युद्ध की राय देते हैं. युद्ध की भयावहता देख राक्षस प्राण मोह में भागने लगते हैं लेकिन रावण के धमकाने पर वे फिर मैदान में आते हैं.
हनुमान ने किया मेघनाथ पर हमला…
युद्ध के दौरान मेघनाथ द्वारा वानर वीरों को मारते देख हनुमान उस पर पहाड़ से हमला करते हैं और उसका रथ नष्ट कर देते हैं. मेघनाथ प्रभु राम के पास जाकर दुर्वचन कहते हुए माया रचता है. राम अग्नि बाण से उसकी माया काट देते हैं. इस पर क्रोधित हुए लक्ष्मण मेघनाद से लडऩे आगे बढ़ते हैं. मेघनाद ब्रह्मशक्ति के प्रयोग से लक्ष्मण को मूर्छित कर देता है.
लक्ष्मण मूर्क्षित पर राम विलाप…
भाई प्रेम में राम विलाप करते हैं. हनुमान उपचार के लिए सुषेन वैद्य को और फिर उनके बताने पर संजीवनी बूटी युक्त धौलगिरि पर्वत भी उठा ले आते हैं. सुषेन वैद्य बूटी से लक्ष्मण की मूर्छा समाप्त करते हैं. यह देख प्रभु श्रीराम उन्हें गले से लगा लेते हैं. यहीं पर आरती कर लीला को विश्राम दिया गया.