जानिए भारत रत्न से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, मिलती है VIP सुविधाएं, क्या हैं इसे देने की प्रक्रियाएं

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भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्‍मान ‘भारत रत्न’ है. यह पुरस्कार उन महानुभावों को दिया जाता है, जिन्‍होंने राजनीति, कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा और खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय और असाधारण योगदान के जरिए राष्ट्र सेवा की हो. भारत रत्न को शुरू हुए अब 69 वर्ष हो चुके हैं. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 2 जनवरी, 1954 को ‘भारत रत्न’ को संस्थापित किया था. उसी वर्ष में यह सम्‍मान 3 महानुभावों को दिया गया था.

Bharat Ratna

सबसे पहला सम्मान स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन को दिया गया था. शुरुआत में ये सम्मान केवल जीवित शख्स को ही दिया जाता था. इसके बाद वर्ष 1955 में मरणोपरांत भी भारत रत्न दिए जाने का प्रावधान जोड़ा गया. एक खास बात ये भी है कि ऐसा अनिवार्य नहीं है कि भारत रत्‍न सम्‍मान हर वर्ष ही दिया जाए.

भारत रत्न प्राप्त करने वालों की आधिकारिक घोषणा भारत के राजपत्र में अधिसूचना जारी की जाती है. यह सम्मान 26 जनवरी को दिया जाता है. इस सर्वोच्च सम्मान से अब तक 48 हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है. आखिरी बार ये सम्मान वर्ष 2019 में दिया गया था. वर्ष 2019 में समाज सेवा के क्षेत्र में नानाजी देशमुख (मरणोपरांत), कला क्षेत्र में डॉक्टर भूपेन हजारिका (मरणोपरांत) और लोक-कार्य के लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.

भारत रत्न सम्मान के लिए चुने जाने की प्रक्रिया पद्म पुरस्कारों से अलग होती है. इसमें भारत के पीएम भारत रत्न के लिए किसी व्यक्ति के नाम की सिफ़ारिश राष्ट्रपति को करते हैं. भारत रत्न के लिए किसी औपचारिक सिफ़ारिश की जरूरत नहीं होती. कोई भी व्यक्ति जाति, पेशा, पद या लिंग के आधार पर अंतर किए बिना इस पुरस्कार के लिए योग्य माना जा सकता है.

भारत रत्न से जुड़े कुछ खास तथ्य…

भारत रत्न जीवन काल में या मरणोपरांत दोनों तरह से दिया जाता है.
वर्ष 2013 में पहली बार खेल के क्षेत्र में सर्वोच्च योगदान व प्रदर्शन करने के लिए भी भारत रत्न देने का निर्णय लिया गया.
इसके बाद वर्ष 2014 में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को इस सम्मान से नवाज़ा गया.
यह पुरस्कार गैर-भारतीयों को भी दिया जा सकता है. 1980 में मदर टेरेसा, स्वतंत्रता सेनानी खान अब्दुल गफ्फार खान (स्वतंत्रता से पहले भारत में जन्मे और बाद में पाकिस्तान गए) और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला भी इस सम्मान से नवाजे जा चुके हैं.
हर वर्ष अधिकतम 3 भारत रत्न दिए जा सकते हैं. वर्ष 1999 में पहली बार ऐसा हुआ जब 4 लोगों को एक ही वर्ष में भारत रत्न दिए गए.
इस सम्मान में केवल प्रमाणपत्र और तमगा मिलता है. कोई धनराशि नहीं मिलती है.
वर्ष 1956, 1959, 1960, 1964, 1965, 1967, 1968-70, 1972-74, 1977-79, 1981, 1982, 1984-86, 1993-96, 2000, 2002-08, 2010-13, 2020-22 में भारत रत्न नहीं दिया गया.
भारत रत्न पुरस्कार को दो बार निलंबित किया जा चुका है. इसके बाद पुरस्कार फिर से शुरू किए गए थे. जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

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भारत रत्न मेडल के बारे में…

भारत रत्न के नाम पर दिए जाने वाले भौतिक पुरस्कार को तांबे के बने एक पीपल के पत्ते के आकार में डिजाइन किया गया है. इसमें देवनागरी लिपि में प्लैटिनम का चमकता सूर्य के चित्र के नीचे ‘भारत रत्न’ अंकित है. पत्ते का किनारा भी प्लैटिनम का है. इसके नीचे चांदी से हिंदी में ‘भारत रत्न’ लिखा है. पुरस्कार के पीछे की तरफ अशोक स्तंभ के नीचे हिंदी में सत्यमेव जयते लिखा होता है. यह लगभग 59 मिमी. लंबा, 48 मिमी. चौड़ा और 3.2 मिमी. मोटा होता है. इसमें एक सफेद रिबन लगा होता है.

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भारत रत्न की सुविधाएं और प्रक्रियाएं…

भारत रत्न पाने वालों को भारत सरकार की ओर से एक प्रमाणपत्र और एक मेडल दिया जाता है.
इस सम्मान के साथ कोई धनराशि नहीं दी जाती. इसे पाने वालों को सरकारी महकमे सुविधाएं मुहैया कराते हैं.
उदाहरण के लिए भारत रत्न पाने वालों को रेलवे की ओर से मुफ़्त यात्रा की सुविधा मिलती है.
भारत रत्न पाने वालों को सरकारों के अहम कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए निमंत्रण मिलता है.
सरकार वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस में उन्हें जगह देती है. वॉरंट ऑफ प्रेसिडेंस का इस्तेमाल सरकारी कार्यक्रमों में वरीयता देने के लिए होता है.
भारत रत्न पाने वाले महानुभावों के प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उप-प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है.
भारत रत्न पाने वाले महानुभावों को राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अनुसार, पुरस्कार विजेता अपने नाम के आगे या पीछे ‘भारत रत्न’ का प्रयोग नहीं कर सकते. हालांकि, वे अपने बायोडाटा, विजिटिंग कार्ड, लेटर हेड आदि में ‘राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भारत रत्न’ या ‘भारत रत्न पुरस्कार के प्राप्तकर्ता’ जोड़ सकते हैं.

 

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