Kissa EVM ka : जानें भारत में कौन सी कंपनी बनाती है ईवीएम ?

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Kissa EVM ka: दौर चुनावी है जिसमें हमने दो चरण पार भी कर लिया है. इन सबके बीच चुनाव का मूल आधार ईवीएम हमेशा से ही सियासत में विवाद और बहस का मुद्दा रहा है. विपक्ष हमेंशा से ही अपनी हार का ठिकरा ईवीएम पर फोड़ता रहता है. ऐसे में चुनाव में ईवीएम की चर्चा हो या न हो लेकिन मतगणना के बाद इसकी चर्चा जोरों से शुरू हो जाती है.

ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि करोड़ों मतदाताओं की मत शक्ति के तौर पर प्रयोग होने वाली ईवीएम का इतिहास क्या रहा, क्यों इसकी जरूरत पड़ी, कैसे मतपत्र से बेहतर है ईवीएम. ऐसे न जाने कितने ही सवाल हैं जो ईवीएम को लेकर लोगों के मन में उठते होंगे ? यदि आप के मन भी इस तरह के कई सवाल रहते हैं तो यह सीरीज आपके इन सभी सवालों का जवाब बनने वाली है क्योंकि, इस सीरिज में हम बात करने जा रहे ईवीएम निर्माण से लेकर अब तक के सफर के बारे में… इस सीरिज के सातवें एपिसोड में हम जानेंगे भारत में कौन सी कंपनी बनाती है ईवीएम…?

सबसे पहले ईवीएम मशीन का किस कंपनी ने किया था निर्माण ?

कल के एपिसोड में हमने जाना की ईवीएम और मतपत्र में क्या अंतर होता है और इस वीडियों के अंत में हमने आपको यह भी बताया था कि, चुनाव आयोग ने ईवीएम को काफी सुविधाजनक और सुरक्षित बताया था. हालांकि, इसके बाद भी ईवीएम को लेकर सालों से सवाल खड़े किए जा रहे हैं, लेकिन आज हम जानेंगे मतदान में क्रांति लाने वाली ईवीएम का आखिर निर्माण कौन सी कंपनी द्वारा किया जाता है .

आपको बता दें कि, साल 1977 में ईवीएम का प्रस्ताव पारित होने के बाद ईवीएम का निर्माण इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को दिया गया था. इसके बाद इस कंपनी ने ईवीएम का निर्माण कार्य शुरू कर दिया. जिसके बाद साल 1979 में एक कार्यशील मॉडल विकसित हुआ औऱ साल 1980 की तारीख 6 अगस्त को इसे सभी राजनीतिक दलों के सामने पेश किया गया.

वर्तमान समय में कौन सी कंपनी बनाती है ईवीएम ?

आपको बता दें कि, ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का आयात न करके इसका निर्माण कार्य हमारे देश में ही किया जाता है. इन्हें भारत में ही डिजाइन कर स्व्देश में ही बनाया जाता है. इसके निर्माण के लिए चुनाव आयोग की तरफ से तैयारी की गयी. टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी यानी टीईसी के मार्गदर्शन पर दोनों कंपनियां ईवीएम मशीन को तैयार करती हैं.

चुनाव आयोग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, ”इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति (टीईसी) द्वारा दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों यानी इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलोर के सहयोग से डिजाइन और बनाई गई हैं. आज भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानि कि ईवीएम का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलोर और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है.”

क्या होता है ईवीएम के अंदर ?

एक्सपर्ट का मानना है कि, EVM में एक माइक्रोप्रोसेसर होता है, इस प्रोसेसर को एक बार ही संचालित किया जा सकता है. यानी, प्रोग्राम एक बार लिखा जाने के बाद आप इसमें बदलाव नहीं कर सकते हैं. वही इस बात को दूसरे शब्दों में समझे तो, इस पर कोई दूसरा सॉफ्टवेयर राइट नहीं किया जा सकता हैं. इसमें कोई जानकारी नहीं है कि कौन-सा चिप या प्रोसेसर इस्तेमाल किया जाता है. इस विषय में किसी भी तरह की जानकारी नहीं है , लेकिन EVM को काम करने के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती है.

इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड 7.5-वोल्ट की एल्कलाइन पावर पैक यानी बैटरी प्रदान करते हैं. EVM के पहले मॉडल में 3840 वोट स्टोर कर सकते थे, लेकिन इसके नवीनतम संस्करण में सिर्फ दो हजार वोट्स स्टोर किया जा सकता है. EVM में स्टोर डेटा को 10 साल या इससे अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. EVM की एक यूनिट लगभग 8,670 रुपये की लागत की होती है, ये कीमतें पहले और भी कम हुआ करती थी.

 

 

 

 

 

 

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