जानें, दुल्हनों को क्यों भा रहे हैं चपरासी पति ?
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के बुलधना जिले में रहने वाले किशोर सावले 32 साल के हैं और करीब एक करोड़ 20 लाख रुपये की जमीन के मालिक हैं। उन्होंने लाइब्रेरी साइंस में पीजी किया है और एजुकेशन में डिप्लोमा किया है। इतना सब होने के बाद भी सावले को पिछले चार साल से एक दुल्हनिया नहीं मिल पा रही है।
शादी की चाहत पूरी करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है
उन्होंने अब तक 30 परिवारों के पास शादी का प्रस्ताव भेजा लेकिन हर बार बस एक वजह से उन्हें निराशा झेलनी पड़ी। शादी का रिश्ता तय न होने की वजह उनका किसान होना है। दोंगर शेवली गांव के किशोर ने कहा, ‘मैंने जिन परिवारों और लड़कियों से मैंने संपर्क किया, उन्होंने कहा कि वे किसान की बजाय निजी या सरकारी क्षेत्र में चपरासी को ज्यादा तवज्जो देंगे।’ बता दें, यह इलाका किसानों के सूइसाइड के लिए जाना जाता है। तमाम प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद किशोर हर महीने करीब 20 हजार रुपये कमा लेते हैं लेकिन शादी की चाहत पूरी करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
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किशोर की एकमात्र इच्छा यह है कि उनकी पत्नी शिक्षित होनी चाहिए। किशोर ने कहा कि इतने लंबे इंतजार के बाद अब शादी के लिए किसानी छोड़कर नौकरी करने पर विचार कर रहे हैं। चाहे वह चपरासी का ही क्यों न हो। कर्नाटक के बेलगावी जिले के विश्वास बेलेकर ने ऐसा ही किया है। बेलेकर के पास ढाई एकड़ जमीन है, जहां वह तंबाकू पैदा करते हैं। वह अपने संपन्न परिवार में एकमात्र बेटे हैं। जब उन्होंने महसूस किया कि किसान होने की वजह से शादी के प्रस्ताव खारिज किए जा रहे हैं, उन्होंने पड़ोसी महाराष्ट्र के हुपरी कस्बे में एक अंशकालिक नौकरी करने लगे। शादी के बाद बेलेकर दुबारा खेती करने लगे। यही नहीं बेलेकर के अपने घर में उनकी बहनों वनिता और सविता ने किसानों से शादी करने से मना कर दिया।
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कई प्रस्ताव खारिज करने के बाद उन्होंने छोटे उद्यमियों से शादी की जो एक किसान से भी कम कमाते हैं। मध्य प्रदेश में युवा किसान गुस्से में हैं। बुजुर्ग किसान नेता शिव कुमार शर्मा ने कहा, ‘जो लड़के खेती करते हैं, उन्हें दूल्हन नहीं मिल रही है। यह भारतीय समाज में किसानों की स्थिति को दर्शाता है। इस बात से आश्चर्य में नहीं आइएगा कि युवा किसानों की पीढ़ी बिना शादी के ही न रह जाए। मैं ज्यादा आंकड़ें नहीं बोल रहा हूं, यह वास्तविकता है जिसका हम सामना कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि किसान लड़कों की शादी न होने की वजह कम जमीन का होना और कृषि में लाभ का घटना है। उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति में कोई लड़की कैसे किसान से शादी करेगी।’ कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2001 से 2011 के बीच 90 लाख लोगों ने विभिन्न कारणों से किसानी छोड़ दी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा।
(साभार-एनबीटी)
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