काशी : बाबा भोले का मनभावन सावन, सोमवार से शुरू और सोमवार को खत्म
सावन का महीना बाबा विश्वनाथ को अंत्यत प्रिय है. वहीं बाबा की नगरी काशी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा का दर्शन और जलाभिषेक करने आते हैं. इसमें महादेव का जल और दूध से अभिषेक किया जाता है. मान्यता है कि इससे भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं. इसमें भी खासकर सावन के सोमवार का विशेष महत्व होता है.
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काशी की गलियों में बसते हैं भगवान शिव
बनारस में छोटी-छोटी गलियों में भी शिवलिंग आसानी से मिल जाते हैं. वहीं काशी के लोग पूरे सावन में जलाभिषेक करते हैं. बाबा विश्वनाथ के अलावा केदारेश्वर महादेव, महामृत्युंजय महादेव और तिलभांडेश्वर, शूलटंकेश्वर, सारंगनाथ और मार्कण्डेय महादेव मंदिर समेत काशी के अन्य शिव मंदिरो में हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने को आते हैं. यहां कि हर गली और मोहल्ले में भगवान शिव के मंदिर मिल जाएंगे. हालांकि विकास की आंधी में काशी के कई शिवमंदिर आज विलुप्त हो चुके हैं.
कब होगी सावन की शुरुआत
सावन का पवित्र महीना इस बार 22 जुलाई सोमवार के दिन शुरू होगा और इसका समापन भी सोमवार 19 अगस्त को ही होगा, जिसे सावन पूर्णिमा कहा जाता है. बता दें कि करीब 70 वर्षों बाद ऐसा संयोग होगा कि सावन का अंत और शुरआत दोनों ही सोमवार से हो रहा है. वहीं इस बार पांच सोमवार पड़ेंगे. हालांकि इससे पहले भी सावन में पांच सोमवार पड़े हैं.
सावन के पांच सोमवार
सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन से सावन की शुरुआत भी होगी. इस मौके पर महादेव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें दूध, बेलपत्र और धतूरा, भांग आदि चढ़ाएं जाएंगे. सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन शिवलिंग पर गंगाजल और कच्चे दूध का अभिषेक करना चाहिए. सावन का तीसरा सोमवार 5 अगस्त को है. इस दिन आप किसी प्रसिद्ध शिव मंदिर में जा सकते हैं या घर में ही मिट्टी की शिवलिंग बनाकर या अपने घर के शिवलिंग की ही विधि-विधान से पूजा अर्चना करके महादेव का आशीर्वाद पा सकते हैं. सावन का चौथा सोमवार 12 अगस्त के दिन पड़ रहा है. कहते सावन के चौथे सोमवार पर शिवलिंग पर घी अर्पित करना चाहिए, इसके बाद शुद्ध जल या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी दुखों और कष्टों का नाश होता है. सावन का पांचवा और आखिरी सोमवार 29 अगस्त के दिन मनाया जाएगा. इस दिन सावन का समापन भी हो जाएगा. मान्यता है कि सावन के आखिरी सोमवार के दिन शाम के समय शिवजी और पार्वती की आरती करने के साथ ही ओम गौरी शंकराय नमः और ॐ नमः पार्वती पतये नमः मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए.