इतिहास के पन्नों में 5 सितंबर
जर्नलिस्ट कैफे खबरों के साथ-साथ आपको देश-विदेश में घटित घटनाओं के बारे में भी जानकारियां देता है। हर दिन सुबह तारीख के हिसाब से इतिहास में घटित घटनाओं के बारे में हम आप को बताते हैं। जिससे तमाम तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं को इतिहास से संबंधित घटनाओं के बारे में पता चल सके। आज का इतिहास के माध्यम से जर्नलिस्ट कैफे उन लोगों के बारे में आपको बताता है जिन्होंने इस देश के लिए अपना सबकुछ बलिदान कर दिया, साथ ही आज के दिन देश-विदेश की राजनीति में ऐसा क्या हुआ जो इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया।
read more : एटीएम से ‘200 रुपये’ का नोट ‘जेब’ में जाने में लगेगा वक्त
5 सितंबर को जन्मे व्यक्ति
- 1886- प्रज्ञान ओझा, भारतीय क्रिकेटर
- 1933 – लक्ष्मीनाराण रामदास- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति स्थापित करने के लिए ‘रेमन मैग्सेसे पुरष्कार’ पाने वाले भारतीय।
- 1910 – फ़िरोज़ पलिया, भारतीय क्रिकेटर
- 1905 – वाचस्पति पाठक- प्रसिद्ध उपन्यासकार।
- 1888 – सर्वपल्ली राधाकृष्ण भारत के दूसरे राष्ट्रपति
- 1872 – चिंदबरम पिल्लई- तमिल भाषाके विद्वान् और प्रख्यात समाज-सुधारक।
5 सितंबर को हुए निधन
- 1997- मदर टेरेसा, विश्व प्रसिद्ध समाज सेविका
- 1995- सलिल चौधरी – हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार।
- 1986- नीरजा भनोट, अशोक चक्र विजेता विमान परिचारिका
- 1986- अम्बिका प्रसाद दिव्य – भारत के जाने-माने शिक्षाविद और हिन्दी साहित्यकार।
- 1991- शरद जोशी, भारतीय, व्यंग्य रचनाकार
5 सितंबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
- 1666 – लंदन में लगी भीषण आग में 13,200 घर क्षतिग्रस्त हो गये और आठ लोगों की मौत हो गयी।
- 1798 – फ्रांसमें अनिवार्य सैन्य सेवा कानून प्रभाव में आया।
- 1836 – सैम ह्यूस्टन टेक्सास गणराज्य के राष्ट्रपति निर्वाचित।
- 1839 – चीन में पहला अफ़ीम युद्ध शुरू हुआ।
- 1914- ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम और रूस के बीच लंदन समझौता हुआ।
- 1944- ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने अपनी स्कॉटलैंड यात्रा शुरू की।
- 1972- म्यूनिख ओलंपिक के दौरान फिलीस्तीनी समूह ब्लैक सितम्बर ने 11 इजरायली एथलीटों को बंधक बना लिया और बाद में उनकी हत्या कर दी।
- 1975- पुर्तग़ाल के प्रधानमंत्री गोंसालवेज़ ने अपने पद से इस्तीफा दिया।
- 1987- अमेरिका के टेनिस खिलाड़ी जॉन मैकनरॉय पर उनके बयान के लिये 17,500 डॉलर का जुर्माना ठोका गया।
- 1991- नेल्सन मंडेला अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये।
- 1997- अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने सन् 2004 में होने वाले ग्रीष्म ओलम्पिक खेलों का आयोजन एथेन्स में कराने का निश्चय किया।
- 1999- वाई नदी समझौते को कार्यान्वित करने तथा रुकी हुई पश्चिमी एशिया शांति वार्ता को आगे बढ़ाने हेतु इस्रायल के प्रधानमंत्री एहुद बराक तथा यासिर अराफ़ात के मध्य शर्म अल शेख़ (मिस्र) में शांति समझौते पर हस्ताक्षर।
- 2000- नील्जिमालम्बा रूस में अंतर्राष्ट्रीय महिला संगठन की अध्यक्ष नियुक्त, वे इस पद को सुशोभित करने वाली पहली एशियाई महिला हैं।
- 2001- फिजी में महेन्द्र चौधरी, जार्ज स्पेट और लाइसेनिया करासे संसद हेतु चुने गये।
- 2002- अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई पर जानलेवा हमला, पर वे सुरक्षित रहे।
- 2005- मंडला एयरलाइंस का विमान 091 इंडोनेशिया में सुमात्रा के एक आवासीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे उसमें सवार 104 लोगों के अलावा आवासीय क्षेत्र के 39 लोगों की मौत हो गई।
- 2008–रतन टाटा के नेतृत्व में सोसायटी ऑफ़ इण्डियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) के प्रतिनिधिमण्डल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेंट की।
- 2009–नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने दस कम्पनियों पर शेयर बाज़ार में क़ारोबार करने पर प्रतिबंध लगाया।
- 2014 – विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के मुताबिक, गिनी, लाइबेरिया, नाइजीरिया, सेनेगल और सिएरा लियोन में इबाेला वायरस से संक्रमित 3500 लोगों में से 1900 लोगों की मौत हो गयी।
शिक्षक दिवस
गुरु की महत्ता बताने वाला प्रमुख दिवस है। भारत में ‘शिक्षक दिवस’ प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है। शिक्षक का समाज में आदरणीय व सम्माननीय स्थान होता है। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस और उनकी स्मृति के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला ‘शिक्षक दिवस’ एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन को ‘गुरु दिवस’ के रूप में स्वीकार किया गया है। विश्व के विभिन्न देश अलग-अलग तारीख़ों में ‘शिक्षक दिवस’ को मानते हैं। बहुत सारे कवियों, गद्यकारों ने कितने ही पन्ने गुरु की महिमा में रंग डाले हैं।
महत्व
गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।
कबीरदास द्वारा लिखी गई उक्त पंक्तियाँ जीवन में गुरु के महत्त्व को वर्णित करने के लिए काफ़ी हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है। गुरुओं की महिमा का वृत्तांत ग्रंथों में भी मिलता है। जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन ख़ूबसूरत दुनिया में लाते हैं।
उनका ऋण हम किसी भी रूप में उतार नहीं सकते, लेकिन जिस समाज में रहना है, उसके योग्य हमें केवल शिक्षक ही बनाते हैं। यद्यपि परिवार को बच्चे के प्रारंभिक विद्यालय का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जीने का असली सलीका उसे शिक्षक ही सिखाता है। समाज के शिल्पकार कहे जाने वाले शिक्षकों का महत्त्व यहीं समाप्त नहीं होता, क्योंकि वह ना सिर्फ़ विद्यार्थी को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उसके सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)