भाजपा के बुरे दिन, कैराना-नूरपुर हार का ठीकरा योगी के सिर!

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लगता है भाजपा के बुरे दिनों की शुरुआत हो गई है। कैराना और नूरपुर में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। कैराना में आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम और नूरपुर में नईमुल हसन ने जीत दर्ज की है। लगता है कि कैराना और नूरपुर हार के बाद अब भाजपा की हार का ठीकरा सीएम योगी के सर पर ही आयेगा।

भाजपा के विजय रथ पर ब्रेक लग गया है। न योगी  अपना गढ़ गोरखपुर ही बचा पाये और नही फूलपुर। अब कैराना और नूरपुर में मिली हार भाजपा के लिए बड़ा झटका है।

नूूरपुर में भी भाजपा की हार

कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों ने उनके खाते में एक और हार लिख दी है, वहीं बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले नूरपुर विधानसभा की सीट भी योगी नहीं बचा पा रहे हैं। पहले से ही सरकार और पार्टी के अंदर घिरते जा रहे योगी आदित्यनाथ के लिए ये नए नतीजे मुसीबत खड़ी करने वाले हैं। यूपी वो राज्य है जहां बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अमित शाह की रणनीति की बदौलत 2014 में विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था।

80 सीटों वाले देश के इस सबसे बड़े प्रदेश में बीजेपी ने 72 सीटें जीतीं जबकि उसकी सहयोगी अपना दल को दो सीटें मिलीं। कांग्रेस की ओर से सिर्फ सोनिया-राहुल गांधी ही अपनी सीट बचा सके जबकि सपा को महज 4 सीटें मिलीं। मायावती का तो खाता भी नहीं खुला। समय बीतने के साथ यूपी में बीजेपी की लहर और मजबूत हुई। मोदी सरकार बनने के तीन साल बाद 2017 में जब विधानसभा चुनाव हुए तब एक बार फिर मोदी और शाह का जादू चला और विपक्ष धूल चाटता नजर आया।

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403 विधानसभा सीटों वाले इस प्रदेश में बीजेपी को अकेले ही 312 सीटें मिलीं। सपा-कांग्रेस गठबंधन और मायावती की बसपा चुनाव मैदान में औंधे मुंह नजर आए। बीजेपी ने 14 साल का सत्ता का वनवास खत्म कर जब प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई तो उसकी बागडोर गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई।

आदित्यनाथ को ये जिम्मेदारी दी गई कि वे यूपी को विकास की राह पर ले जाएं ताकि 2019 के चुनावों के लिए मजबूत जमीन तैयार हो सके और बीजेपी 2014 का जादू वहां दोहरा सके। आशा के विपरीत योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार के एक साल पूरा होने से पहले ही अपनी ही गोरखपुर सीट सपा के हाथों गंवा बैठे। सिर्फ यही नहीं पार्टी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर सीट भी नहीं बचा सकी और सपा-बसपा ने एक साथ आकर सीएम योगी और बीजेपी को एक साथ दो बड़े झटके दे दिए। गोरखपुर-फूलपुर के झटकों से पार्टी अभी उबरी भी नहीं थी कि कैराना और नूरपुर के उपचुनाव भी उसके लिए बुरी खबर लेकर आए हैं।

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