समुद्री सुरक्षा: संदिग्ध जहाजों को सैटलाइट से पकड़ने में मदद करेगा इसरो

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब सैटलाइट से तस्वीरें भेजकर तटीय और समुद्री सुरक्षा में जुटीं एजेंसियों को संदिग्ध जहाजों और बोटों को पकड़ने में मदद करेगा। इस नई पहल के तहत इसरो बोटों की सैटलाइट से निगरानी के लिए अगले साल मार्च महीने तक 1,000 ट्रांसपोडर सप्लाइ करेगा। इसका मकसद समुद्र के रास्ते भारत में उस तरह की घुसपैठ को रोकना है जैसा नवंबर 2008 में मुंबई पर हमले के लिए की गई थी।
प्रदेश बोटों की कलर कोडिंग भी कर रहे हैं
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम के जरिए 20 मीटर से बड़े बोटों की निगरानी की जा सकेगी जबकि 20 मीटर से छोटे बोटों की सैटलाइट मॉनिटरिंग का प्रस्ताव है। दरअसल, भारतीय समुद्री सीमा की ओर बढ़नेवाले संदिग्ध जहाजों की कड़ी निगरानी के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण का काम रफ्तार पकड़ रहा है। इसके तहत 46 कोस्टल रेडार और 74 ऑटोमैटिक आईडी सिस्टम्स तैनात किए जा चुके हैं। समुद्रों में और इंटरनैशल मैरिटाइम बाउंड्री लाइन (IMBL) पर आसानी से निगरानी के लिए तटीय राज्य और केंद्रशासित प्रदेश बोटों की कलर कोडिंग भी कर रहे हैं। गृह मंत्रालय की ओर से तटीय सुरक्षा को दुरुस्त करने के उपायों के तहत ही ये सारे कदम उठाए गए हैं।
7,516 कि.मी. की अंततराष्ट्रीय समुद्री सीमा गुजरती है
अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर मछुआरों को बायोमेट्रिक कार्ड दे दिए गए हैं। कुल 19.9 लाख मछुआरों में से 19.7 लाख का पंजीकरण हो चुका है जिनमें 18.6 लाख को कार्ड दे दिए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा (IMBL) के उल्लंघन की घटना से निपटने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रसीजर्स तय किए जा चुके हैं। साथ ही, सभी पक्षों के बीच बेहतर समन्वय और छोटे बंदरगाहों पर सुरक्षा के तंत्र बढ़ाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के साथ-साथ दमन-दीव, लक्षद्वीप, पुदुचेरी एवं अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह जैसे केंद्र शासित प्रदेशों से होकर भारत की कुल 7,516 कि.मी. की अंततराष्ट्रीय समुद्री सीमा गुजरती है।
चाक-चौबंद होना बेहद महत्वपूर्ण है
न्यूक्लियर प्लांट्स, समुद्री बंदरगाह, नौसैनिक स्टेशन, सैटलाइट/मिसाइल लॉन्चिंग सेंटर्स और ऑइल इंस्टॉलेशंस आदि इन्हीं समुद्रतटीय इलाकों में हैं। इस वजह से भी तटीय और समुद्री सुरक्षा का पूरी तरह चाक-चौबंद होना बेहद महत्वपूर्ण है। 2005 से 2011 के बीच 646 करोड़ रुपये की लागत से पहले चरण की समेकित समुद्रतटीय सुरक्षा योजना पूरी हो चुकी है जबकि 1,580 करोड़ रुपये की लागतवाली दूसरे चरण की योजना पूरी होने के कगार पर है।
ताज होटल पर हमला कर 166 लोगों को मौत की नींद सुला दी
गौरतलब है कि नवंबर 2008 में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते कराची से मुंबई का रास्ता पहले तो पाकिस्तानी जहाज में फिर बीच समुद्र में भारतीय मछुआरों का बोट हाइजैक करने के बाद उसमें सवार होकर तय किया था। गंभीर बात यह है कि आतंकवादी एक छोटी सी नौका से बेरोकटोक मुंबई तट पर उतर गए। फिर 26 नवंबर को उन्होंने शहर की पहचान कहे जानेवाले ताज होटल पर हमला कर 166 लोगों को मौत की नींद सुला दी।
(साभार – एनबीटी)

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