अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश ने भारत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ट्रंप ने अपने विदेश मंत्री से ईरान के चाबहार बंदरगाह को प्रतिबंधों में दी गई छूट को खत्म या संशोधित करने के लिए कहा है. यह बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है, क्योंकि भारत इस पोर्ट के जरिए पाकिस्तान को बाईपास कर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच बना सकता है.
बता दें कि ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने की नीति के तहत ये निर्णय लिया है, लेकिन इससे भारत की मध्य एशिया और अफगानिस्तान के साथ संपर्क योजनाओं पर असर पड़ सकता है.
भारत की कनेक्टिविटी योजनाओं पर असर
चाबहार बंदरगाह इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके जरिए भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अज़रबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच 7200 किलोमीटर लंबा व्यापार नेटवर्क तैयार किया जा रहा है. इस पर अमेरिकी प्रतिबंध भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों को प्रभावित कर सकते हैं.
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क्या है ट्रंप का नया आदेश?
4 फरवरी को जारी कार्यकारी आदेश में ट्रंप प्रशासन ने ईरा पर दबाव बढ़ाने और उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने का फैसला किया है. इसमें कहा गया है कि ईरान हिज़बुल्लाह, हमास, तालिबान और अल-कायदा जैसे संगठनों की सहायता करता है, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगियों को खतरा है. आदेश में ईरान के चाबहार बंदरगाह का विशेष रूप से जिक्र किया गया है, जिससे संकेत मिलते हैं कि इस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
भारत-ईरान के बीच चाबहार समझौता
13 मई 2024 को भारत और ईरान ने चाबहार स्थित शाहिद बेहेस्ती बंदरगाह के संचालन के लिए 10 साल का समझौता किया था. इस समझौते के तहत भारतीय कंपनी, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) बंदरगाह का संचालन कर रही है. साथ ही IPGL ने 120 मिलियन डॉलर निवेश का वादा किया था, और 250 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता का भी प्रावधान था.
जब यह समझौता हुआ था, तब अमेरिका ने साफ कर दिया था कि ईरान पर उसके प्रतिबंध जारी रहेंगे और भारत को इसमें कोई विशेष छूट नहीं मिलेगी. अब ट्रंप के नए आदेश के बाद भारत के लिए इस परियोजना में निवेश जारी रखना मुश्किल हो सकता है.
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भारत-तालिबान वार्ता
8 जनवरी 2025 को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी के बीच दुबई में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें चाबहार बंदरगाह के माध्यम से व्यापार बढ़ाने पर चर्चा की गई.
बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि भारत अफगानिस्तान को मानवीय और विकास सहायता जारी रखेगा. भारत ने अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सुविधाओं, शरणार्थियों के पुनर्वास और व्यापार सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है.
भारत के लिए क्या खतरा?
हालांकी अमेरिका का मुख्य लक्ष्य भारत नहीं, बल्कि ईरान है. बाइडन प्रशासन के समय भारत को कुछ छूट मिली थी, लेकिन ट्रंप के नेतृत्व में यह छूट खत्म हो सकती है. चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के लिए सीधी चुनौती है, जिसे चीन विकसित कर रहा है. इससे पाकिस्तान का प्रभाव अफगानिस्तान में बढ़ सकता है, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से नुकसानदायक होगा.
पाकिस्तान और चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच यदि अमेरिका ने भारत के लिए मुश्किलें बढ़ाईं, तो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसका प्रभाव कम हो सकता है.
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भारत के इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) और INSTC दोनों के लिए चाबहार महत्वपूर्ण है. अगर इस पर प्रतिबंध लगता है, तो भारत को मध्य एशिया और यूरोप तक व्यापार करने में दिक्कतें हो सकती हैं.
हालांकि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत के पास व्यापार के अन्य रास्ते हो सकते हैं. भारत ने पहले भी नियमों के भीतर रहकर ईरान में निवेश किया है, और आगे भी ऐसा कर सकता है. भारत कूटनीतिक उपायों के जरिए इस संकट से निपटने का प्रयास कर सकता है.