इंदिरा अपनी इस गलती को संजय गांधी की मौत की वजह मानती थीं, किताब में हुआ खुलासा
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने सख्त रुख के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती थीं. वह एक राजनेता होने के साथ-साथ एक मां भी थीं और हर कोई जानता है कि कैसे उन्होंने अपने छोटे बेटे संजय गांधी को राजनीति की दुनिया में आगे बढ़ाया। इंदिरा गांधी हमेशा संजय गांधी की दर्दनाक मौत के लिए अपनी एक गलती को जिम्मेदार ठहराती रहती थीं. ये गलती थी ऐतिहासिक चामुंडा देवी मंदिर में समय पर न जाने को लेकर.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में हालिया किताब ‘How Prime Ministers Decide’ के एक किस्से का जिक्र किया है. दावा किया जाता है कि संजय गांधी की मौत से एक दिन पहले इंदिरा गांधी हिमाचल प्रदेश के चामुंडा देवी मंदिर के दर्शन करने वाली थीं, लेकिन आखिरी वक्त पर उनका दौरा रद्द हो गया. जब यह बात मंदिर के पुजारी को पता चली तो उन्होंने चेतावनी दी कि चामुंडा देवी ऐसी गलतियों को माफ नहीं करतीं.
इंदिरा गांधी धार्मिक हो गई थीं…
रिपोर्ट में बताया गया है कि जब एक ज्योतिषी ने बताया कि संजय गांधी की उम्र कम हो सकती है तो इंदिरा गांधी अपने छोटे बेटे के लिए और भी धार्मिक हो गईं. बात 1977 की है, जिसके बाद इंदिरा गांधी बार-बार मंदिर जाने लगीं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1966 में जब इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो वह संविधान के नाम पर थी। लेकिन जब 1980 में उन्होंने दोबारा शपथ ली तो वह ईश्वर के नाम पर थी.
23 जून 1980 को संजय गांधी की मृत्यु हो गई और 22 जून को इंदिरा गांधी को चामुंडा देवी मंदिर जाना पड़ा. अनिल बाली इस यात्रा की व्यवस्था देख रहे थे, जबकि हिमाचल प्रदेश की तत्कालीन सरकार प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए तैयार थी. इंदिरा गांधी पहले भी चामुंडा देवी मंदिर जाती थीं, लेकिन इस बार उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया. जिसके बाद पंडित ने कहा कि अगर वह सामान्य व्यक्ति होती तो चामुंडा देवी माफ कर देती, लेकिन ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति के इस अपमान के लिए मां माफ नहीं करेंगी.
अगले दिन संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई, अगले दिन जब अनिल बाली इंदिरा के घर पहुंचे तो वह अपने बेटे संजय गांधी के शव के पास थीं और रो रही थीं और पूछ रही थीं कि क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं चामुंडा देवी नहीं गया था. तब हर कोई अवाक रह गया था. संजय गांधी की यह दर्दनाक मौत 33 साल की कम उम्र में हो गई थी, आपातकाल के दौरान वह काफी सक्रिय थे और इंदिरा अपना हर फैसला संजय गांधी की राय के बिना नहीं लेती थीं.
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