SC से इलाहाबाद HC तक, ज्ञानवापी मामले में अब तक क्या क्या हुआ?

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वाराणसी में जिला जज के आदेश से 24 जुलाई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाना था. इस आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम भी ज्ञानवापी मस्जिद परिषद पहुंची, लेकिन सर्वेक्षण कार्य शुरू होने के कुछ घंटे बाद ही बंद हो गया. जिला न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को राहत देते हुए हाई कोर्ट जाने का सुझाव दिया. जानिए 24 जुलाई को एएसआई के ज्ञानवापी परिसर पहुंचने से लेकर अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ:

24 जुलाई– वाराणसी कोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण के काम में जुट गई है. इस बीच मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट जाने की सलाह दी. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए एएसआई को 26 जुलाई तक सर्वे रोकने का आदेश दिया, ताकि तब तक मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट में केस दायर कर सके.

25 जुलाई को मुस्लिम पक्ष के हाई कोर्ट पहुंचने से पहले ही हिंदू पक्ष की राखी सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी. राखी सिंह एएसआई सर्वे की समर्थक हैं और उन्होंने कैविएट दाखिल कर कहा है कि अगर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी वाराणसी जिला जज के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देती है तो हाई कोर्ट उन्हें सुने बिना कोई फैसला न दे.

25 जुलाई– सुप्रीम कोर्ट द्वारा एएसआई सर्वेक्षण पर रोक लगाने के बाद, अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने 25 जुलाई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया. 26 जुलाई को कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एएसआई सर्वेक्षण पर रोक गुरुवार तक बढ़ा दी थी.

27 जुलाई– इलाहाबाद हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए सर्वे पर 3 अगस्त तक रोक लगा दी.

सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

-ज्ञानवापी मामले को लेकर जब इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन और मुस्लिम पक्ष की ओर से सैयद फरमान अहमद नकवी पेश हुए.

-मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील दी गई कि कोई सबूत न होने के बाद भी अर्जी दाखिल की गई है कि तुरंत वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाए और आदेश दिया जाए. यह गलत है. कानून के मुताबिक वैज्ञानिक सर्वेक्षण से पहले एक आयोग भेजा जाना चाहिए, जो बता सके कि विवादित स्थल पर वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जा सकता है या नहीं और इस दौरान क्या-क्या दिक्कतें आ सकती हैं.

-मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि हिंदू पक्ष की महिलाओं की ओर से दायर याचिका में दी गई दलीलों में अंतर है. एक तरफ याचिका में कहा गया है कि मस्जिद में सबूत मौजूद हैं, वहीं दूसरी तरफ मांग की गई है कि सबूतों के लिए ASI सर्वे कराया जाए.

-मुस्लिम पक्ष ने ASI टीम के साथ खुदाई के उपकरणों की तस्वीर कोर्ट को दिखाई और कहा कि इस टीम का इरादा मस्जिद में खुदाई करने का था. तो एएसआई ने साफ किया कि जब टीम पहली बार वहां पहुंची थी तो मलबा हटाने के लिए उपकरण लेकर गई थी.

-हिंदू पक्ष ने सुनवाई के दौरान कहा कि ASI की टीम खुदाई नहीं कर रही है. रडार सिस्टम के जरिए पता लगाया जा रहा है कि क्या मस्जिद के नीचे मंदिर है.ASI की तरफ से सुनवाई के दौरान ये साफ-साफ कहा गया कि वो ज्ञानवापी परिसर में खुदाई नहीं करने वाले थे. वहीं हिंदू पक्ष की ओर से भी यही दलील दोहराई गई. हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि ASI ने ढांचे को क्षति न पहुंचाते हुए सर्वे करने की बात अपने हलफनामे में भी कही है.

-हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने सुनवाई में कहा कि किसी परिणाम तक पहुंचने के लिए ASI द्वारा सर्वे कराया जाना जरूरी है. इस दौरान उन्होंने मस्जिद की पश्चिमी दीवार के फोटो भी दिखाए और कहा कि इसमें कई हिंदू प्रतीक हैं, जो इशारा करते हैं कि वहां मंदिर होने की संभावना है. जैन ने गुंबद के नीचे एक आवाज सुनाई देने का जिक्र भी किया और कहा कि इस आवाज से लगता है कि इसके नीचे कुछ छिपा हुआ है.

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