अमेरिका में 20 जनवरी 2025 को रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे. उन्होंने प्रशासन की नीतियां लागू करने की लंबी लिस्ट तैयार की है. उनके एजेंडे में सबसे ऊपर अवैध भारतीय प्रवासी के खिलाफ कार्रवाई शामिल है.
ट्रंप ने बड़े पैमाने पर निर्वासन (देश से निकालना) का वादा किया है और इस काम के लिए सेना की मदद लेने की संभावना भी जताई है. इन सख्त नीतियों के कारण अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हजारों भारतीयों का भविष्य अनिश्चितता में लटक गया है.
अवैध प्रवासियों को ट्रंप की चेतावनी ‘ समान पैक करें’
जुलाई 2024 में रिपब्लिकन पार्टी के कन्वेंशन में टॉम होमन जिन्हें ट्रंप ने “बॉर्डर जार” (अमेरिकी सीमाओं के रक्षा प्रभारी) के रूप में चुना है. उन्होंने कहा था- बेहतर होगा कि आप अभी से सामान पैक करना शुरू कर दें. होमन ने यह भी स्पष्ट किया था कि अगर आप अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं तो आप खुद ही देश छोड़ दें, भले ही आपके पास निष्कासन का आदेश हो या न हो.
अमेरिका में रह रहे भारतीय प्रवासियों के बीच डर और चिंता का माहौल है. कुछ ने निर्वासन के भाग्य को स्वीकार कर लिया है, तो कुछ डेमोक्रेट-शासित राज्यों की ओर रुख कर रहे हैं जहां उन्हें शरण मिलने की उम्मीद है.
मोदी-ट्रंप के मधुर संबंधों से भारतीयों को उम्मीद
अवैध रूप से आए भारतीय प्रवासी यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मजबूत संबंध उनके लिए मददगार साबित होंगे.
टीओआई रिपोर्ट के मुताबिक शिकागो में क्लिनिक चलाने वाले आशीष पटेल ने बताया कि वह 2010 में कनाडा के रास्ते अमेरिका आए थे और मेडिकल पेशे में काम करने और निवेश करने के कारण उन्हें स्थायी निवास कार्ड मिल गया. उनका मानना है कि ट्रंप केवल उन अवैध प्रवासियों को निशाना बनाएंगे जो अपराध और ड्रग्स में शामिल हैं जबकि भारतीय इन गतिविधियों से दूर रहते हैं.
आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाएगा परिवार – मौलिन पटेल
गुजरात के मेहसाणा जिले के मौलिन पटेल, जिन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर अमेरिका आने के लिए 70 लाख रुपये प्रति व्यक्ति खर्च किए. बताया कि अगर निर्वासन हुआ तो उनका पूरा परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाएगा. उन्होंने कहा कि वह अपनी नौकरी बदलने की योजना बना रहे हैं ताकि अमेरिकियों से कम संपर्क हो.
हालांकि, कई भारतीयों का मानना है कि उनके शरण के आवेदन कहीं पहुंचते नहीं दिख रहे. उदाहरण के लिए- मौलिन पटेल ने बताया कि उनका आवेदन 2025 तक लंबित है, और तब तक उनका परिवार छिपकर रहने को मजबूर होगा. इसी तरह, भारत से आए धीरज ठक्कर ने बताया कि ट्रंप की जीत के बाद उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा. जब एक ग्राहक ने उन्हें “चूहों” के रूप में संबोधित किया।
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अवैध प्रवासियों पर सख्ती से भारतीय असुरक्षित, लौटने की तैयारी
इस सख्त माहौल ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे कई भारतीयों को असुरक्षित कर दिया है. ट्रंप के निर्वासन से जुड़ी नीतियां न केवल अवैध प्रवासियों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि वे उन भारतीयों को भी प्रभावित कर सकती हैं, जिन्होंने कानूनी वीजा पर आने के बाद ओवरस्टे किया है. कई भारतीय अब अपनी योजनाओं को बदलने या वापस भारत लौटने की तैयारी कर रहे हैं.