क्या, वाकई भारत से जंग पर आमादा है चीन ?
कोरोना के लिए चीन को कोस रहे हैं कई देश
जंग का सबसे बेहतरीन खिलाड़ी उसे माना जाता है जो बिना लड़े हुए ही दुश्मन को परास्त करने का माद्दा रखता हो। भारत का पड़ोसी मुल्क चीन…. फिलहाल इसी नीति पर आगे बढ़ता दिख रहा है।
वो जंग के मैदान में आता तो जरूर है, लेकिन हथियार नहीं उठाता। वो बिना लड़े ही सबसे बड़ा लड़ाका दिखना चाहता है। तो सवाल यही है कि लद्दाख सीमा विवाद को हवा देकर चीन का क्या वाकई जंग पर अमादा है या फिर उसकी नीति का ही एक हिस्सा भर है।
कोरोना के लिए चीन को कोस रहे हैं कई देश
चीन की वार पॉलिटिक्स को समझने के लिए हमे दुनिया के मौजूदा हालात पर नजर डालना होगा। दरअसल, कोरोना महामारी से दुनिया के अधिकांश देश जूझ रहे हैं। 3 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो करोड़ के आसपास लोग कोरोना से प्रभावित हुए। रक्षा विशेषज्ञ ऋषि दीक्षित के अनुसार अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इंग्लैंड समेत कई देश कोरोना के लिए चीन को कोस रहे हैं। शक की सुई चीन के वुहान के रहस्यमयी लैब पर टिक गई है। अमेरिका तो इस कदर खफा है कि उसने चीन से सभी तरह के संबंध तोड़ने का एलान तक कर दिया है। यही नहीं चीन के खिलाफ जांच की भी मांग उठ रही है, जिसका समर्थन भारत ने भी किया है।
चीन में कारोबार समेटने की तैयारी में बड़ी कंपनियां
रक्षा विशेषज्ञ ऋषि दीक्षित बताते हैं कि कूटनीतिक मोर्चे के साथ अब व्यापारिक स्तर पर भी चीन को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। चीन में इन्वेस्ट करने वाली बड़ी बड़ी कंपनियां सब अपना कारोबार समेटने की तैयारी में लग गई हैं। अधिकांश कंपनियां अब भारत और ताइवान को अपना ठिकाना बना रही हैं। और चीन को यही बात हजम नहीं हो रही है। उसे लगता है की अगर कारोबार में मंदी आती है तो उसका सुपर पावर बनने का सपना अधूरा रह सकता है। जानकार बताते हैं कि दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद के मुद्दे को हवा दी है।
भारत और चीन का सीमा विवाद
चीन इस बात को बखूबी जनता है कि जब दो शक्तिशाली देश उलझेंगे तो दुनिया की नजर कोरोना से हट जाएगी। और केंद्र में भारत और चीन का सीमा विवाद आ जायेगा। उसका मकसद भारत के साथ के साथ युद्ध कतई नहीं है। इसी नीति पर चलते हुए चीन की सेना ने लद्दाख में घुसपैठ किया हुआ है। मौजूदा हालात ये हैं कि 1999 में पाकिस्तान वाली सीमा पर करगिल बिल्ड-अप के बाद शायद भारत की किसी सीमा पर पड़ोसी देश के सैनिकों का ये सबसे बड़ा जमावड़ा हो सकता है। भारत और चीन के बीच सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी कहा जाता है यानी 1962 की लड़ाई के बाद की वास्तविक स्थिति। रक्षा मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि यह शुरुआत अप्रैल के तीसरे हफ़्ते में हुई थी जब लद्दाख बॉर्डर यानी लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन की तरफ़ सैनिक टुकड़ियों और भारी ट्रकों की संख्या में इज़ाफ़ा दिखा था।
चीन की बेचैनी का सामरिक कारण हैं, एलएसी के नजदीक भारत की ओर से सड़कों और पुलों का निर्माण है। चीन नहीं चाहता है कि सीमावर्ती इलाको में भारत की स्थिति मजबूत हो। यही कारण है जब-जब भारत एलएसी के नजदीक निर्माण कार्य में तेजी लाता है। चीन के सैनिक हरकत में आ जाते हैं।
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