रेस 3 रिव्यू : नहीं चल पाया सलमान का जादू
ये रेस जिंदगी की रेस है, किसी की जान लेकर ही खत्म होगी। फिर चाहे वह दर्शकों की जान ही क्यों न हो! इतने सारे सितारों की फिल्म में आप कुछ मज़ेदार देखने की उम्मीद लगाते हैं, लेकिन अफसोस कि आपको निराशा हाथ लगती है। रेस फिल्म की पिछली दोनों हिट फ्रैंचाइजी के बाद इस बार ‘रेस’ की स्टारकास्ट काफी हद तक बदल गई है।
रेस 3′ में लीड हिरोइन बनने का मौका मिला है
पिछली फिल्मों से सिर्फ अनिल कपूर ही ऐसे हैं, जो इस बार भी रेस में हैं। जबकि जैकलीन फर्नांडिस को ‘रेस 2’ के बाद ‘रेस 3’ में लीड हिरोइन बनने का मौका मिला है। वहीं डायरेक्टर अब्बास-मस्तान की बजाय ‘रेस 3’ को रेमो डिसूजा ने डायरेक्ट किया है। आपको बता दें कि इस ‘रेस 3’ का पिछली दोनों फिल्मों से कोई लेना-देना नहीं है।
फिल्म की कहानी शमशेर सिंह (अनिल कपूर ) से शुरू होती है, जो करीब 25 साल पहले भारत से एक साजिश का शिकार होकर अल शिफा आइसलैंड आ जाता है। वह अवैध हथियारों का डीलर है। उसके बड़े भाई रणछोड़ सिंह का बेटा सिकंदर (सलमान खान) उसका दायां हाथ है। बड़े भाई की एक एक्सिडेंट में मौत के बाद शमशेर ने अपनी भाभी से शादी कर ली थी, जिससे उसके दो जुड़वा बच्चे सूरज (साकिब सलीम) और संजना (डेजी शाह) हैं। फिल्म का एक और किरदार यश (बॉबी देओल) सिकंदर का बॉडीगार्ड है।
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वहीं जेसिका (जैकलीन फर्नांडिस) पहले सिकंदर की गर्लफ्रेंड थी, लेकिन फिर वह यश के साथ आ जाती है। सिकंदर अपनी फैमिली के लिए जान देता है, लेकिन उसके सौतेले भाई-बहन उससे नफरत करते हैं। वे यश को भी भड़का कर अपनी ओर मिला लेते हैं। शमशेर वापस भारत जाना चाहता है और किस्मत से उसे एक मौका मिल जाता है। उसके मिशन को पूरा करने सिकंदर के साथ उसकी पूरी टीम कंबोडिया जाती है, जहां सूरज, संजना और यश उसे फंसा देते हैं। लेकिन वह जेसिका की मदद से बच जाता है। उसके बाद खुलते हैं कई ऐसे राज़ जिन्हें जानने के लिए आपको सिनेमा जाना होगा।
सलमान खान के फैंस को भाई के जबर्दस्त ऐक्शन…
सलमान खान ने फिल्म में सैफ अली खान की जगह ली है। बेशक, वह काफी स्मार्ट लग रहे हैं और उन्होंने कई जबर्दस्त ऐक्शन सीन भी किए हैं, लेकिन सैफ के चाहने वाले रेस में उन्हें जरूर मिस करेंगे। हालांकि ईद पर सलमान खान के फैंस को भाई के जबर्दस्त ऐक्शन की डोज चाहिए होती है। उनके लिए शुरुआत और आखिर में कुछ सीन हैं, लेकिन कहानी के लेवल पर फ़िल्म एकदम बकवास है। खासकर फिल्म का फर्स्ट हाफ देखकर आप खुद को लुटा-पिटा महसूस करते हो।
सेकंड हाफ में जरूर कुछ ट्विस्ट हैं, लेकिन इतना नहीं कि आपको रोमांचित करे। समझ नहीं आता कि दो घंटे की फिल्मों के दौर में रेमो डिसूजा ने पौने तीन घंटे की फ़िल्म बनाने का रिस्क क्यों लिया। बाकी कलाकारों की अगर बात करें, अनिल कपूर हमेशा की तरह लाजवाब हैं। वहीं जैकलीन और डेजी शाह ने भी अच्छे स्टंट सीन किए हैं। साकिब सलीम ने अपने रोल को निभा भर दिया है। बॉबी देओल ने शर्ट उतार कर कुछ ऐक्शन सीन किए हैं, लेकिन उनका भाव हीन चेहरा ऐक्टिंग के मामले में उनका साथ नहीं देता। वहीं विलन का रोल करने वाले फ्रेडी दारूवाला ने पता नहीं यह फ़िल्म साइन ही क्यों की है। रेस फैमिली में खुद ही इतने विलन हैं कि उनके लिए कोई स्कोप ही नहीं है।
सेल्फिश सॉन्ग तो समझ से परे है
हालांकि फिल्म की सिनेमटॉग्रफी लाजवाब है। बैंकॉक और अबू धाबी की बेहतरीन लोकेशंस पर की गई फिल्म की शूटिंग बेशक आपको पसंद आएगी। वहीं कश्मीर और लद्दाख की खूबसूरत लोकेशंस पर शूट किया रोमांटिक सॉन्ग भी अच्छा लगता है। एक-दो को छोड़कर बाकी गाने फ़िल्म में जबरदस्ती ठूंसे हुए लगते हैं। खासकर सेल्फिश सॉन्ग तो समझ से परे है। हालांकि निर्माताओं ने आखिर में साफ तौर पर सीक्वल की गुंजाइश छोड़ी है, लेकिन यह फिल्म सिर्फ और सिर्फ सलमान के फैन्स के लिए है, जो दिल में आते हैं समझ में नहीं। बाकी दर्शक अपने रिस्क पर फिल्म देखने जाएं। साभारnbt)
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