बुराड़ी मर्डर केस : अब बीड़ी बाबा की एंट्री

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बुराड़ी के संत नगर में 11 लोगों की रहस्यमय मौत के मामले में बुधवार को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई। यह साफ हो गया है कि दस लोगों की मौत फांसी लगाने से हुई है। रिपोर्ट में किसी भी गड़बड़ी की आशंका से इनकार किया गया है, लेकिन इस बीच इन 11 मौतों के मामले में अब एक ‘बीड़ी वाले बाबा’ की एंट्री हो गई है।

शवों पर कुछ खरोंचों के अलावा चोट के कोई निशान नहीं

साथ ही रजिस्टर में अगली दिवाली न देख पाने जैसी बातें भी लिखी मिली हैं। सीनियर पुलिस अफसर के मुताबिक, उस घर के दूसरे कमरे से बरामद 77 साल की नारायण देवी के शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आना बाकी है। अभी तक दस लोगों की रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मौत फांसी लगने के कारण हुई है और शवों पर कुछ खरोंचों के अलावा चोट के कोई निशान नहीं मिले हैं।

तंत्र-मंत्र के चलते सामूहिक आत्महत्या की है…

बुधवार को एम्स से एक फरेंसिक टीम बुराड़ी के इसी घर में जांच के लिए पहुंची थी। इस मामले को लेकर शक जताया जा रहा है कि इस परिवार ने तंत्र-मंत्र के चलते सामूहिक आत्महत्या की है लेकिन हरिद्वार में अस्थिविसर्जन के बाद दिल्ली पहुंचे ललित के बड़े भाई दिनेश ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि परिवार आत्महत्या नहीं कर सकता, इनका साजिश के तहत मर्डर किया गया है।

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उधर, हर रोज नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। एक गुमनाम शख्स ने पुलिस को चिट्ठी लिखकर दावा किया कि भाटिया परिवार और किसी तांत्रिक के बीच संपर्क था। परिवार लगातार उस बीड़ी वाले बाबा के टच में रहता था। हालांकि पुलिस को मौत के मामले में अभी तक जांच में किसी बाहरी शख्स या तांत्रिक का हाथ होने का सबूत तो नहीं मिला है। गुमनाम चिट्ठी 3 जुलाई को लिखी गई है।

मोक्ष पाने की कामना से सामूहिक आत्महत्या की…

चिट्ठी लिखने वाले शख्स का कहना है कि बुराड़ी में जिस परिवार के 11 लोगों ने धार्मिक अंधविश्वास में फंसकर मोक्ष पाने की कामना से सामूहिक आत्महत्या की, वह दिल्ली के ही किसी बाबा के संपर्क में था, जो कि कराला में रहते हैं।

कराला में बीड़ी वाले और दाढ़ी वाले बाबा के नाम से मशहूर बाबा अपने आप को हनुमान का भक्त कहते हैं। शाम 6 बजे तक झाड़-फूंक करते हैं। चिठ्ठी में पुलिस से अपील की है कि इन मौतों के पीछे बाबा का हाथ हो सकता है इसलिए इसकी जांच की जाए। इसी कड़ी में एक किन्नर भी सामने आया। किन्नर हर मंगलवार को मरघट बाबा के दरबार पर जाते थे। वहां से प्रसाद लेकर आते थे। इसी तरह परिवार के रजिस्टर में कहा गया, वे अगली दिवाली नहीं देख सकेंगे।साभार

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