पेट्रोल-डीजल की महंगाई पर पूर्व सीएम का बयान

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मध्यप्रदेश में पेट्रोल-डीजल के दाम कई अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं ज्यादा है, इसकी वजह यहां लगने वाले वैट और अतिरिक्त कर मूल वजह है। इस पर भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक बाबूलाल गौर ने राज्य के वित्तमंत्री जयंत मलैया को खत लिखकर चिंता जताई है।

गौर ने मंगलवार को वित्तमंत्री मलैया को खत लिखा है, जिसमें पिछले कुछ दिनों में आई मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि राज्य में डीजल पर 27 प्रतिशत और पेट्रोल पर 31 प्रतिशत वैट लगता है, इसके अलावा डीजल पर डेढ़ रुपये व पेटोल पर चार रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त कर के तौर पर लिया जा रहा है।

उन्होंने लिखा है कि पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी से बाहर रखा गया है। इतना ही नहीं, इन दोनों पदार्थो पर पूर्व की तरह वैट लागू रखा गया है। जीएसटी की दरें पूरे देश में एक समान है, मगर वैट का अधिकार राज्यों को है। मध्यप्रदेश के मुकाबले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात व छत्तीसगढ़ में वैट की दरें कम हैं।

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गौर ने आगे लिखा है कि राज्य में वैट की दर ज्यादा होने की वजह से अन्य राज्यों के मुकाबले पेट्रोल-डीजल महंगा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि दूसरे राज्यों की सीमा से लगे पेट्रोल पंपों की बिक्री 60 फीसदी तक कम हो गई है। ऐसा इसलिए, क्योंकि डीजल के दाम उत्तर प्रदेश में सात रुपये, महाराष्ट्र में चार रुपये, राजस्थान में ढाई रुपये प्रति लीटर तक मध्यप्रदेश की तुलना में कम है। इससे पंप संचालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

आपको बता दें कि देश में पेट्रोलियम पदार्थों में लगातार हो रही वृद्धि से जनता परेशान है, और देश की मोदी सरकार पर सवाल खड़े कर रही है। आपको बता दें कि अगर पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो इसकी कीमतों में काफी गिरावट आएगी। लेकिन अगर इसको जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो सरकार को इससे मिलने वाला भारी भरकम टैक्स नहीं मिलेगा।

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