दिल्ली मे अगर चलाते है गाड़ी तो अब लगाने होंगे इतने हज़ार पेड़…

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दिल्ली में वायु प्रदूषण के कहर ने एक बार फिर रंग दिखाना शुरू कर दिया है. आलम ऐसा कि सांस लेना भी मुश्किल हो चुका है. यह साल का ऐसा समय है जब दिल्ली में वायु गुणवत्ता से निपटने की जद्दोजहद में शहर बेदम होता जा रहा है. बीते कुछ वर्षों से दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण अपने चरम पर है, जिससे लोगों के दिनचर्या अस्त व्यस्त हो चुकी हैं.

शुक्रवार को दिल्ली की सुबह ताज़ी हवा से नहीं बल्कि उन नीले आसमान में धुंध की मोटी परत से हुई. दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूलों को अगले 2 दिन तक बंद रखने के आदेश दिए हैं. इतना ही नहीं बल्कि दिल्ली मे वो निर्माण जो बहुत जरूरी नहीं है उनपर प्रतिबंध लगा दिए जा चुके है.

दिल्ली मे एयर क्वालिटी इंडेक्स करीब 500 तक पहुंच गया है. World Health Organization के मुताबिक दिल्ली मे प्रदूषण 100 गुना ज्यादा बढ़ गया है.

सवाल अब पंजाब हरियाणा मे जलाई जाने वाली पराली पर भी उठाए जा रहे है. दिल्ली की हवा मे जहर घुलता जा रहा है.

दिल्ली मे वायु प्रदूषण की जड़ क्या पराली ही है?

दिल्ली मे जब-जब बढ़ते वायु प्रदूषण का मामला सामने आता है तब-तब सबकि नजर पंजाब और हरियाणा के किसानों पर जाती है. धान की खेती के बाद बचे हुए अवशेष को किसान जलकर अपने खेत को खाली करते हैं. यह अवशेष जलाने पर पर्टीक्यूलेट मैटर बनकर हवा के माध्यम से दिल्ली के वातावरण में आ जाते हैं. ज़्यादातार पराली अक्टूबर और नवंबर में जलाई जाती है, और यह अमूमन फसल की कटाई के बाद जलाई जाती है. पिछले 48 घंटों मे पंजाब मे 1600 जगहों पर पराली जलाई जा चुकी है.

 

दिल्ली के लिहाज से देखा जाए तो यहां प्रदूषण के स्तर हमेशा बढ़े रहते है. अध्ययन की माने तो पराली से प्रदूषण स्तर में 30 प्रतिशत की बढ़त होती है, जिसे हमे पीएम 2.5 कहते है. अब यह तो साफ है कि 30 प्रतिशत प्रदूषण पराली से होता, लेकिन बाकी का 70 प्रतिशत कहां से आ रहा है?

शुक्रवार को दिल्ली का एक्युआई डाटा कुछ इस तरह से है-:
Sri Auribindo Marg: 432
R.K. Puram: 406
ITO: 440
Lodhi Road: 458
North Campus: 465
Sector 62 Noida: 484
Sector 125 Noida: 427

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कल रात दिल्ली के आनंद विहार इलाके का एक्युआई 700 तक पहुँच गया था. बीतें 2-3 दिनों मे दिल्ली की आबोहवा मे जहर घुलने लगा है. लोगों को सांस लेने मे शिखायतें या रही है.

क्यूँ बढ़ रहा है दिल्ली मे प्रदूषण

22,547,000 की आबादी वाले प्रदेश मे अगर लोगों को साफ हवा ना मिले तो उनके लिए जीना बेहद कठिन हो जाएगा. Economic Survey of Delhi के हिसाब से साल 2020-21 दिल्ली मे करीब 79.2 लाख गाड़ियां थी.

अब एक सरल तरीके से समझिए:
– दिल्ली मे कुल 79.2 लाख गाड़ियां है.
– भारत में वर्तमान में प्रचलित उत्सर्जन नियम भारत स्टेज VI है.
– बीएस-VI के तहत, पेट्रोल कारों की सीमाएं हैं:
– CO: 1 ग्राम/किमी
– HC: 0.1 ग्राम/किमी
– NOx: 0.06 ग्राम/किमी
– PM: 0.0045 ग्राम/किमी
– माना जाता है कि दिल्ली में कुल कारों में से 60% पेट्रोल कारें हैं, यानि 4.75 मिलियन.
– बीएस-VI सीमाओं का सरल औसत लेने पर, प्रति पेट्रोल कार औसत उत्सर्जन लगभग 0.3 ग्राम/किमी है.
– इसी तरह, डीजल कारों को 40% (3.17 मिलियन) मानते हुए और बीएस-VI नियमों के अनुसार, प्रति डीजल कार औसत 0.26 ग्राम/किमी है.
– पेट्रोल और डीजल कारों के औसत का भारित औसत लेने पर, दिल्ली में औसतन एक कार का उत्सर्जन लगभग 0.28 ग्राम/किमी है.
– इस प्रकार प्रदेश मे  वाहन आबादी और प्रचलित उत्सर्जन मानकों को देखते हुए, एक कार का अनुमानित औसत उत्सर्जन लगभग 0.28 ग्राम/किमी है. वास्तविक औसत उत्सर्जन वाहन रखरखाव आदि पर भी निर्भर करेगा.

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सुधार लाने के लिए कितने पेड़ों की जरूरत?

• दिल्ली में कुल कारें: 79.2 लाख
• एक कार का औसत उत्सर्जन: 0.28 ग्राम/किमी
• कार का औसत चलाई गई दूरी: 12 किमी/दिन
• एक पेड़ द्वारा साल में अवशोषित कार्बन डाई आक्साइड: 22 किलोग्राम
• अनुमान है कि दिल्ली में कारों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए
• लगभग 12,090 पेड़ों को लगाने की आवश्यकता होगी

यह एक अनुमानित गणना है. वास्तविक उत्सर्जन आंकड़ों के आधार पर और पेड़ों की जाति व वृद्धि दर आदि पर निर्भर करते हुए लगाए जाने वाले पेड़ों की सही संख्या भिन्न हो सकती है. लेकिन यह दिल्ली में वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए लगाए जाने वाले पेड़ों की संख्या का आकड़ा देता है.

सरकार के लिए चुनौती

सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए 6 नवंबर तक सभी सरकारी और प्राइवेट प्राइमेरी स्कूल बंद कर दिए है. रात में एयर क्वालिटी इंडेक्स 800 के पार पहुंच गया है जो बेहद खराब श्रेणी में आता है. दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ते हालात को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पॉंस एक्शन प्लान स्टेज-3 लागू किया जा रहा है. पांचवीं तक के स्कूल दो दिन बंद रहेंगे.

BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल गाड़ी चलाने पर 20000 रुपये का चालान होगा. प्रतिबंध प्रदेश से आगे तक फैले हुए हैं और इसमें हरियाणा में गुरुग्राम और फ़रीदाबाद जैसे पड़ोसी शहरों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद और नोएडा भी शामिल हैं. इन वाहनों के संचालन की अनुमति पर प्रतिबंध जीआरएपी के चरण 3 के कार्यान्वयन का परिणाम है. चरण 4 आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को छोड़कर, डीजल वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही को और सीमित कर देगा.

दूसरे प्रदेश से आने वाली BS-4 डीज़ल बस को दिल्ली मे आने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. अगर हलत और खराब होती है तो कमर्शियल गाड़ियों पर भी यही नियम लागू होगा. इतने नियम कानून के बाद भी क्यूँ दिल्ली के लोगों का घुट रहा है दम.

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