इस शख्स ने दुनिया भर में फैलाई हलीम की खुशबू
हैदराबादी हलीम की खुशबू को दुनिया भर में फैलाने का श्रेय पाने वाले उस शख्स की बसाई हुई दुनिया को लोग ‘पिस्ता हाउस’ के नाम से जानते हैं। उस शख्स का नाम है, मोहम्मद अब्दुल मजीद। इन्होंने हलीम को एक ऐसे व्यंजन के रूप में स्थापित किया है कि आज इसकी खुशबू हैदराबाद की चार दीवारी से निकलकर देश के अन्य नगरों और दूसरे देशों तक भी जा पहुंची है।
असंभव को बनाया संभव-
पिस्ता हाउस के मालिक एम ए मजीद ने जब 1997 में हलीम लांच की तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पहले पोस्टल डिपार्टमेंड और फिर गति जैसे ट्रांसपोर्ट ने उनकी हलीम देश भर में पहुंचाई। सारे लोग सोचकर परेशान थे कि हलीम डाक से कैसे जाएगी, लेकिन उन्होंने इसे संभव कर दिखाया। उस समय हलीम ज्यादातर पुराने शहर में थी, जिसे निकालकर पिस्ता हाउस ने दूसरे महानगरों तक पहुंचाया।
हलीम ने जमाया सिक्का-
आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान, हलीम के महीने के रूप में भी मशहूर है। इसकी वजह ये है कि लोकप्रिय और स्वादिष्ट ईरानी पकवान हलीम हैदराबाद में केवल इसी महीने में बनाया और बेचा जाता है। हैदराबाद में तो स्वादिष्ट पकवानों विशेष कर हलीम का सिक्का खूब चलता है।
अरबों में कारोबार-
अपनी तरह के इस अनूठे पकवान की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक सरसरी अनुमान के अनुसार केवल रमजान के महीने में हैदराबाद के हजारों छोटे-बड़े होटल लगभग पांच अरब रुपए के हलीम बेच लेते हैं।
साल भर करते हैं इंतजार-
गोश्त यानी मटन, गेहूं और घी से तैयार होने वाले इस व्यंजन की मांग इसलिए भी आसमान को छूने लगी है, क्योंकि हैदराबाद की ये पुरानी परंपरा रही है कि हलीम सिर्फ रमजान के महीने में ही उपलब्ध होता है, शायद कुछ लोग इसलिए भी रमजान के महीने का साल भर इंतजार करते हैं।
इंडियन बिजनेस स्कूल और ऐस्की सहित कई बड़ी संस्थाओं ने मजीद के व्यापार पर अध्ययन करवाया है। खुद मजीद का बड़ा बेटा एम बी ए करके अमेरिका में कारोबार संभाल रहा है और छोटा पुत्र हैदराबाद में कारोबार संभाल रहा है।
विदेशों में भी लोकप्रिय-
पिस्ता हाउस के मालिक मोहम्मद अब्दुल मजीद का कहना है कि अमरीका और यूरोप में रहने वाले लाखों हैदराबादियों की इच्छा को देखते हुए उन्होंने हलीम का निर्यात शुरू किया है। मजीद के मुताबिक हलीम हैदराबाद की पुरानी सभ्यता का एक अटूट अंग है और हैदराबादी कहीं भी हों हलीम से दूर नहीं रह सकते।
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