भारत में कोविड 19 की दूसरी लहर ने आम इंसान के साथ साथ डॉक्टरों को भी नहीं बक्शा. कोविड से संक्रमित हो कर सैकड़ों डॉक्टरों की जान मरीजों का इलाज करते हुए चली गई है। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 798 डॉक्टरों की मौत हो गई। सबसे अधिक 128 डॉक्टरों ने दिल्ली में अपनी जान गंवाई। इसके बाद बिहार में 115 डॉक्टरों की मौत हुई। वहीं उत्तर प्रदेश में यह संख्या 79 है। महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्य जहां डेल्टा प्लस वैरिएंट प्रकोप ज्यादा है, वहां क्रमश: 23 और 24 डॉक्टरों की मौत हुई। वहीं पांडिचेरी में सबसे कम मौत हुई है। यहां केवल एक डॉक्टर की मौत की खबर है।
ये भी पढ़ें- मॉडर्ना वैक्सीन को भारत में मिली मंजूरी, डेल्टा वैरिएंट समेत कोरोना के कई स्वरूपों के खिलाफ प्रभावी
डॉक्टरों को सम्मान और सुरक्षा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों की मदद करने के लिए डॉक्टरों की प्रशंसा की। इसके कुछ देर बाद आइएमए के अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल ने कहा कि पीएम ने आश्वासन दिया है कि डॉक्टरों का सम्मान और सुरक्षा की जाएगी। डॉक्टरों के योगदान का सम्मान करने के लिए हर साल की तरह, देश ने 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाएगा। बता दें कि देश में पहला राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस जुलाई 1991 में मनाया गया था।
आइएमए के अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने सुनिश्चित किया कि डॉक्टरों का सम्मान और सुरक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने टीकाकरण की आवश्यकता पर भी जोर दिया। डॉ बीसी रॉय की याद में हम इस वर्ष का राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस (1 जुलाई) मनाएंगे। हमें बहुत खुशी है कि पीएम मोदी ने डॉक्टर्स डे के लिए चिकित्सा क्षेत्र को बधाई दी।
सबसे ज्यादा मौतें दिल्ली में
इससे पहले 25 जून को, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने बताया था कि कोरोना की दूसरी लहर में 776 डॉक्टरों की जान चली गई। आइएमए की कोविड रजिस्ट्री के अनुसार 25 जून तक बिहार में सबसे अधिक 115 डॉक्टरों की मौत हुई थी। इसके बाद दिल्ली में 109, उत्तर प्रदेश में 79, पश्चिम बंगाल में 62, राजस्थान में 44, आंध्र प्रदेश 40 और झारखंड में 39 मौतें हुईं। इस बीच, भारत कोरोना के मामलों में कमी देखने को मिली. मंगलवार को 102 दिनों में पहली बार दैनिक मामले 40,000 से नीचे आए।
दुनिया में किसान और जवान के समान ही डॉक्टर की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है, जिनके बिना समाज की कल्पना करना असंभव है. डॉक्टर रोगी को मौत के मुंह से भी निकालकर ले आते हैं. डॉक्टर्स आयुर्वेदिक, ऐलोपैथी, होम्योपैथी, यूनानी अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों के जरिए मरीज को ठीक करने का प्रयास करते हैं. विश्वभर में कोरोना जैसी खतरनाक महामारी से जूझ रहे लोगों को ठीक करने में डॉक्टर्स अपनी भूमिका तत्परता से निभा रहे हैं. इसलिए उनका सम्मान जरूर करें.
ये भी पढ़ें- मोबाइल भीग जाए या पानी में गिर जाए, तो तुरंत करें ये काम, नहीं खराब होगा आपका फोन
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं। अगर आप डेलीहंट या शेयरचैट इस्तेमाल करते हैं तो हमसे जुड़ें।)