हरिद्वार कुंभ में डुबकी लगाने से पहले अब श्रद्धालुओं को दिखानी होगी ये रिपोर्ट…

देश में कोरोना टीकाकरण का अभियान जोरों से चल रहा है. इसी बीच कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी है, जिसका असर अब उत्तराखंड में हो रहे कुंभ मेले पर भी दिखने लगा है.

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देश में कोरोना टीकाकरण का अभियान जोरों से चल रहा है. इसी बीच कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी है, जिसका असर अब उत्तराखंड में हो रहे कुंभ (kumbh) मेले पर भी दिखने लगा है. उत्तराखंड हाइकोर्ट (high court) ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि, कुंभ में आने वाले लोगों को कोरोना रिपोर्ट दिखानी होगी. अगर रिपोर्ट निगेटिव है तभी कुंभ मेले में शामिल होने का मौका मिलेगा. इसके साथ ही कोर्ट (high court) ने सीएम तीरथ सिंह रावत के उस फैसले पर आपत्ति जताई है जिसमें मुख्यमंत्री ने बिना कोरोना जांच के ही कुंभ (kumbh) में लोगों को आने के लिए कहा था. कोर्ट ने ये फैसला कुंभ मेले को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए सुनाया है.

निगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर ही होगी कुंभ में एंट्री

हाईकोर्ट (high court) ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, जिन लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है तो वो अपना सर्टिफिकेट दिखाकर कुंभ (kumbh) में जा सकते हैं. लेकिन अन्य लोगों को अपनी निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी. इसके साथ ही राज्य सरकार की तरफ से जारी की गई कोरोना गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करना होगा. जिसके लिए राज्य सरकार उचित व्यवस्था करे.

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‘कुंभ में आने वालों को कोई रिपोर्ट नहीं दिखानी होगी’

गौरतलब है कि, इसी महीने हरिद्वार में कुंभ (kumbh) की शुरुआत हुई है. कुंभ मेले को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निर्देश दिए थे कि, श्रद्धालुओं को अपनी RT-PCR की निगेटिव रिपोर्ट दिखाने को अनिवार्य किया था. लेकिन तीरथ सिंह रावत ने सीएम की कुर्सी संभालते ही उनके इस फैसले को पलट दिया था और ऐलान किया था कि, कुंभ में आने वालों को कोई रिपोर्ट नहीं दिखानी होगी. जिसके बाद सीएम रावत के इस फैसले को लेकर लोगों ने काफी आलोचना की थी.

कोरोना की दूसरी लहर ने पकड़ी रफ्तार

आपको बता दें कि, देश में कोरोना के मामले दोबारा बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड में भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. जिसको लेकर कोर्ट ने यह भी कहा है कि, अब फिर से टेस्टिंग को अनिवार्य किया जाए. इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से दौरे पर गई स्वास्थ्य टीम ने नियमों की लापरवाही पर चिंता जाहिर की थी. मौजूदा समय में एक हजार से ज्यादा एक्टिव मामले हैं.

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