रंग के नाम पर भयानक रोग तो नहीं बेच रहे दुकानदार?
बुरा न मानों होली है…ये शब्द होली के दिनों में अक्सर हमें सुनाई देने लगते हैं, और लोग इसी छोटी सी लाइन को बोलकर मजाक भी कर लेते हैं और सामने वाला बातों को हंस के टाल जाता है। लेकिन क्या आप तब भी हंस कर टाल देंगे जब कोई आपकी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा हो। मतलब होली आते ही जो बाजार हमारे लिए सज जाते हैं उनमें बहुत सी ऐसी दुकानें होती है जो हमारे लिए खतरनाक बीमारी बेचने का काम कर रही होती हैं। दरअसल, होली रंगों का त्योहार है, ऐसे में बाजारों में जो सबसे ज्यादा खरीदने और बेंचने वाली चीज होती है वो होता है रंग, आजकल हर चीज में मिलावट का खेल चल रहा है। ये मिलावट का खेल तब और ज्यादा हो जाता है जब इसकी डिमांड बढ़ती है।
रंगों के नाम पर खतरनाक बीमारी बेच रहे हैं दुकानदार
रंगों के नाम पर आजकल हमें खतरनाक केमिकल बेचे जा रहे हैं जो स्किन की तमाम बीमारियों को दावत दे रही हैं। रंग के गीले पाउच भी बाजार में खूब बिक रहे हैं, ये पाउच तेजाबी पानी और रंग का मिश्रण बताए जाते हैं। ऐसे में सूखे रंग की अपेक्षा ये कई गुना अधिक हानिकारक होते हैं। गुलाल बनाने के लिए कुछ लोग डीजल, इंजन ऑयल, कॉपर सल्फेट और सीसे का पाउडर आदि का इस्तेमाल करते हैं। इससे लोगों को चक्कर आता है।
सिरदर्द और सांस की तकलीफ होने लगती है। सूखे गुलाल में एस्बेस्टस या सिलिका मिलाई जाती है। इससे अस्थमा और त्वचा में संक्रमण और आंखों में जलन की शिकायत हो सकती है। चमकीले गुलाल में एल्युमिनियम ब्रोमाइड मिलाया जाता है जिससे कैंसर का खतरा रहता है। लाल गुलाल में मिला होने वाला मरकरी सल्फाइट भी त्वचा कैंसर को बढ़ावा देता है। इसी तरह नीला गुलाल प्रूशियन ब्लू होता है जो त्वचा में एलर्जी और संक्रमण पैदा कर सकता है।
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असली-नकली का ऐसे करें फर्क-
बाजार में कुछ दुकानों पर हर्बल के नाम पर केमिकल युक्त रंग-गुलाल बिक रहे हैं। इस तरह असली- नकली से अंजान खरीदारों संग धोखा किया जा रहा है। ऐसे में लोगों को सजग और रहने की जरूरत है।
नकली रंग की पहचान : हथेली पर रंग रखकर अंगुली से घिसने पर दाने नजर आना, कांच जैसी कटिंग व चमक होना नकली रंग की पहचान है।
हानिकारक केमिकल के प्रभाव -हरा कॉपर सल्फेट मिला होने से आंखों में एलर्जी के साथ अंधापन हो सकता है।
लाल रोडामिल बी, बालू, मिट्टी और यूरिया आदि से स्किन कैंसर, लाल गुलाबी मरकरी सल्फाइड से लकवा व मानसिक अस्थिरता आ सकती है।
बैंगनी क्रोमियम आयोडाइड एलर्जी व अस्थमा का कारक है तो गुलाबी सिंथेटिक दाना फिटकरी, नमक और यूरिया से डर्मेटाइडिस व एक्जिमा सनबर्न होता है। सामान्य 10 तो हर्बल रंग 100 रुपये प्रति सौ ग्राम बाजार में सामान्य रंग 10 से 20 रुपये में मिल जा रहा है, वहीं हर्बल रंग 100 से 250 रुपये प्रति सौ ग्राम की कीमत होती है।
बार्बी बैग पिचकारी और डायनासोर टैंक से रंगों की होगी बौछार
खुशियों का यह रंग और चटख हो इसके लिए बाजार में तरह-तरह के रंग, अबीर-गुलाल व पिचकारियां भी आ गई हैं। इस बार रंगीला बम व गुलाल गन आसमान से इंद्रधुनषी रंग बरसाएंगे जिससे होली में भी लोग दिवाली का आनंद उठा सकेंगे। बाजार में इस बार मोदी पंप और डायनासोर टैंक से रंगों की बौछार होगी। कार्टून कैरेक्टर की पिचकारियां बच्चों के लिए मार्केट में हैं जो बच्चों को काफी पसंद आ रही हैं।
कार्टून पिचकारी, बार्बी बैग पिचकारी, जोकर पिचकारी, स्कूल बैग पिचकारी, मास्क में बेनटेन, दाढ़ी-मूंछ, बार्बी का चेहरा, गुलाल का स्प्रे प्रमुख हैं। मिकी माउस पिचकारी, हथौड़ी पिचकारी खास हैं। इन पिचकारियों की कीमत 50 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक में बाजार में बेंची जा रही हैं।