शिव की नगरी काशी में शुरू हो गई होली…कबीरा सा रा रा रा…

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भोले की नगरी में रंगों का महापर्व होली आज से शुरू हो गयी है। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्‍वनाथ और मां गौरी का आशीर्वाद लेकर काशीवासियों ने होली का आगाज़ कर दिया है। आज के पवन उत्‍सव पर शिव की नगरी काशी में सबसे पहले में भक्तों भगवान् शिव और माता पार्वती के साथ जमकर होली खेली। मौका था भगवान् शंकर के गौने का।

मां गौरा का हुआ गौना

पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोले की शादी हुई, जिसके बाद रंगभरी एकादशी के ही दिन भगवान् शंकर माता पार्वती का गौना करवा के अपने साथ कैलाशधाम लेकर आये थे।

विश्‍वनाथ गली में हर-हर महादेव

शिव की नगरी काशी में आज से होली की धूम शुरू हो गयी। बाबा विश्वनाथ आज गौरा का गौना कराकर जब महंत आवास से लौटे तो भक्तों ने मंदिर परिसर तक भोले भंडारी के साथ जमकर अबीर और गुलाल से होली खेली। इस दौरान पूरा क्षेत्र हर-हर महादेव के नारे से गुंजायमान रहा। यहां तक कि रेड जोन पूरी तरह से ‘गुलाबी जोन’ में तब्‍दील हो गया। विश्‍वनाथ गली में हर कोई गुलाबी रंग से सराबोर दिखा।

सपरिवार निकलते हैं भोलेनाथ

काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि काशी में रंगों की छठा शिवरात्रि के दिन से ही शुरू हो जाती है, लेकिन रंगभरी एकादशी का दिन वो पुण्‍य दिवस होता है जब बाबा विश्‍वनाथ अपने भक्तों के साथ जमकर होली खेलते हैं। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा की चल प्रतिमा अपने परिवार के साथ निकलती है।

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नारस में आज से होली का आगाज़

द्वादश ज्‍योतिर्लिंगों में से एक विश्‍वेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग रूप में विराजमान बाबा विश्‍वनाथ की होली के बाद ही वाराणसी में होली का औपचारिक आगाज़ हो जाता है, जो होली के बाद पहले मंगलवार (बुढ़वा मंगल) तक चलता है।

होता है चलायमान प्रतिमा का दर्शन

मंदिर के प्रमुख अर्चक श्रीकांत महाराज अनुसार इस दिन काशी भोले भंडारी के रंग में रंग जाती है। भोले बाबा इस दिन मां पार्वती के साथ खुद पालकी पर विराजमान होकर शिवधाम के लिए निकलते हैं। पूरे रास्‍ते भगवान अपने भक्‍तों के साथ होली खेलते हुए चलते हैं। आज के पावन दिन बाबा की चलायमान प्रतिमा (ज्‍योतिर्लिंग से अलग) का दर्शन भी श्रद्धालुओं को होता है। बाबा के एक दर्शन और उनके साथ होली खेलने के लिए आस्‍थावानों का सैलाब दुनिया के कोने-कोने से काशी की विश्‍वनाथ गली में पहुंचता हे।

देवलोक करता है रंगवर्षा

मान्यता है की देवलोक के सारे देवी-देवता इस दिन स्वर्गलोक से उतर कर बाबा के ऊपर गुलाल की वर्षा करते हैं। आज ही के दिन बाबा की रजत मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के आसन पर विराजमान कराया जाता है।

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