समुद्र लांघ मां सीता को सौंपी मूंदरी, लंका दहन कर तोड़ा गुमान

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वाराणसी: रामचरित मानस के सुंदरकाण्ड में हनुमानजी सीता की खोज में आकाश मार्ग से 100 योजन का समुद्र लांघ लंका पहुंचते हैं. अशोक वाटिका में मां सीता को राम जी की मूंदरी देकर धैर्य बंधाते हनुमान अग्नि रूपी मुद्रिका सीता के समक्ष गिराते हैं. आकाशवाणी द्वारा रामकथा सुनाते हैं. सीता के कहने पर हनुमान उनके सामने प्रकट होकर उन्हें अपना परिचय बताते हैं. उनसे राम का संदेश कहकर वह उनकी आज्ञा लेकर भूख मिटाने अशोक वाटिका में जाते हैं.

हनुमान जी ने लांघा समुद्र…

प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद पाकर हनुमान जी मिनटों में सौ योजन समुद्र लांघ गए. सुरसा को चकित कर दिया. जिस सोने की लंका पर अहंकारी रावण को गुमान था, उसे देखते ही देखते जला कर राख कर दिया. रामलीला के 19 वें दिन शनिवार को लंका दहन व सीता दर्शन की लीला की सुंदर प्रस्तुति हुई. प्रसंगानुसार हनुमान जी मैनाक पर्वत पर चढ़े तो पर्वत ही धंस गया. सुरसा हनुमान जी को देखकर कहती है कि देवताओं ने आज मुझे अच्छा आहार भेजा है. वह हनुमान को खाना चाहती है. मगर वह हनुमान जी की चतुराई देखकर प्रसन्न होती है. फिर मच्छर का रूप धारण कर लंका में प्रवेश करते हैं.

लंकिनी राक्षसी ने कहा राक्षसों का विनाश तय

लंकिनी राक्षसी को एक घूंसा मारते हैं तो वह कहती है कि अब राक्षसों का विनाश तय है. राम राम जप रहे विभीषण से मिलते हैं. वह हनुमान जी को सीता के अशोक वाटिका में रहने के बारे में बताते हैं. उधर, रावण सीता को प्रताड़ित करने के लिए राक्षसियों से कहता है. रावण के जाने के बाद हनुमान अग्नि रूपी मुद्रिका सीता के समक्ष गिराते हैं. आकाशवाणी द्वारा रामकथा सुनाते हैं. सीता के कहने पर हनुमान उनके सामने प्रकट होकर उन्हें अपना परिचय बताते हैं. उनसे राम का संदेश कहकर वह उनकी आज्ञा लेकर भूख मिटाने अशोक वाटिका में जाते हैं.

रावण ने पुंछ में लगवाई आग

फिर उसे तहस-नहस कर देते हैं. यह सुन क्रोधित रावण अपने पुत्र अक्षय कुमार को उन्हें पकड़ने के लिए भेजता है. अक्षय कुमार युद्ध में मारा जाता है. तब मेघनाथ आता है और ब्रह्मस्त्र का प्रयोगकर हनुमान को पकड़ कर रावण के सामने पेश किया. रावण ने दंड के रूप में उनकी पूंछ में आग लगवा दिया. फिर तो उन्होंने पूरी लंका ही जला डाली. सीता के पास पहुंच उन्होंने कोई निशानी मांगी इस पर उन्होंने अपना चूड़ामणि उतार कर दिया. हनुमान उन्हें धीरज रखने को कहकर राम के पास पहुंचकर सारा समाचार बताते हैं. राम हनुमान को गले से लगा लेते हैं. आरती के बाद लीला को विश्राम दिया जाता है

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